Bhagalpur: प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़ी के मामले में जगदीशपुर के बीडीओ ने दो आवास सहायक व एक पर्यवेक्षक से स्पष्टीकरण की मांग की है. जांच में गड़बड़ी साबित होने पर बीडीओ ने उक्त तीनों कर्मचारियों को पत्र भेजा है. सदर अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के कार्यालय में शिकायत दर्ज करायी गयी थी. आरोप था कि प्रधानमंत्री आवास योजना में जगदीशपुर प्रखंड विभिन्न गांवों में अनियमितता बरती गयी है. मामले की जांच कराने पर आरोप सत्य पाये गये. आवास का निर्माण पूर्ण हुए बिना तीनों किस्तों का भुगतान कर देने की पुष्टि हुई. अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के निर्देश के बाद बीडीओ ने आरोपित आवास सहायकों व आवास पर्यवेक्षक से स्पष्टीकरण मांगा है.
अधूरे आवास को पूर्ण भुगतान
जगदीशपुर बीडीओ ने तत्कालीन ग्रामीण आवास सहायक शशिभूषण राय से स्पष्टीकरण मांगा है. शशिभूषण राय वर्तमान में गोपालपुर प्रखंड में कार्यरत हैं. कुमार विक्रम व अंजना सिंह की शिकायत के बाद सैनो ग्राम पंचायत में स्थलीय जांच करायी गयी थी. शशिभूषण राय की कार्य अवधि में प्रधानमंत्री आवास योजना में भारी अनियमितता पायी गयी. लाभुक मीना देवी व रिंकू देवी के आवास अधूरे ही बने हुए पाये गये. बावजूद इसके तीनों किस्तों का भुगतान करा दिया गया. शशि भूषण राय ने जियो टैग में आवास को पूर्ण बताया था.
नियमों का किया गया उल्लंघन
जगदीशपुर बीडीओ ने तत्कालीन ग्रामीण आवास पर्यवेक्षक हेमंत कुमार व तत्कालीन ग्रामीण आवास सहायक वीणा रंजन से भी स्पष्टीकरण मांगा है. दोनों कर्मचारी वर्तमान में गोराडीह प्रखंड में कार्यरत हैं. कुमार विक्रम व अंजना सिंह द्वारा शिकायत दर्ज करायी गयी थी. इसकी स्थलीय जांच में सन्हौली ग्राम पंचायत में उक्त कर्मियों की कार्य अवधि में प्रधानमंत्री आवास योजना में भारी अनियमितता बरतने का मामला पकड़ में आया था. लाभुकों का घर जांच में लिंटल तक व अधूरा पाया गया था, जबकि उक्त दोनों कर्मियों द्वारा उसे जियो टैग में पूर्ण बताया गया था. गलत अनुशंसा के कारण अधूरे आवास को पूर्ण भुगतान किया गया है.
जांच भी कमाल की
प्रधानमंत्री आवास योजना में दर्जनों आवासों में अब तक गड़बड़ी का मामला सामने आ चुका है. जांच भी किसी अधिकारी ने नहीं, बल्कि संविदा पर नियुक्त कर्मचारी ने की है. सरकार की महत्वपूर्ण योजना के अधूरे होने के बावजूद पूर्ण बताने का दुस्साहस किया गया. जिस समय इसे पूर्ण बताया गया, किसी अधिकारी ने इसका सत्यापन नहीं किया. राशि का भुगतान कर दिया गया. बावजूद इसके मामले की जांच आवास सहायक से करायी गयी. जांच हुई भी और पूर्व के आवास सहायक दोषी साबित हो गये. इस पूरे प्रकरण पर सवाल उठना लाजिमी है कि कोई कर्मचारी किसी मामले की जांच करेगा, तो वह किसी अधिकारी को दोषी ठहराने की हिम्मत कैसे करेगा ? पूरे मामले की निष्पक्ष व भेदभाव रहित जांच कराने और तमाम दोषी कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उठ चुकी है. इस पर ग्रामीण विकास विभाग जिला प्रशासन को निर्देशित भी कर चुका है.