Araria news : जिले में कुपोषण एक गंभीर समस्या है. यह बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास को प्रभावित करती है. बच्चों की मौत से संबंधित 50 से 60 फीसदी मामले प्रत्यक्ष तौर पर कुपोषण की वजह से ही होते हैं. लिहाजा कुपोषण संबंधी मामलों को नियंत्रित करने के लिए कई सरकारी योजनाएं संचालित हैं. कुपोषण के खिलाफ जारी जंग में सदर अस्पताल परिसर में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र की भूमिका हमेशा से सराहनीय रही है. कुपोषित व अतिकुपोषित सैकड़ों बच्चे केंद्र के माध्यम से उपचारित होकर सेहतमंद जिंदगी जी रहे हैं. पर, इन दिनों जिले में संचालित एकमात्र पोषण पुनर्वास केंद्र का संचालन संबंधित अधिकारियों की लापरवाही का शिकार हो रहा है, क्योंकि सदर अस्पताल परिसर स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र का संचालन तीन महीने से बंद है.
भोजन का प्रबंध करनेवाले एनजीओ का भुगतान लंबित
जानकारी के मुताबिक पोषण पुनर्वास केंद्र में इलाज के लिए दाखिल बच्चे, उनके अभिभावक समेत अन्य के भोजन का प्रबंध करनेवाले एनजीओ का भुगतान करीब एक साल से लंबित होने के कारण एनजीओ ने अपनी सेवाएं देनी बंद कर दी हैं. इस कारण केंद्र का संचालन भी ठप पड़ाहै. ज्ञात हो कि पोषण पुनर्वास केंद्र के संचालन के लिए विशिष्ट योग्यता रखनेवाले कर्मी बहाल हैं. विभागीय स्तर से उनका वेतन भी भुगतान किया जा रहा है, पर संबंधित एनजीओ का बकाया भुगतान करते हुए केंद्र का संचालन सुनिश्चित कराने के प्रति विभागीय अधिकारी उदासीन बने हुए हैं.
एनआरसी का संचालन बंद होने से परेशानी
पोषण पुनर्वास केंद्र के माध्यम से हर महीने अति गंभीर रूप से कुपोषित करीब 40 बच्चों को उपचार संभव है. इस वर्ष जनवरी से लेकर मार्च महीने तक एक दर्जन से अधिक बच्चे केंद्र के माध्यम से उपचारित किये गये थे. पोषण पुनर्वास केंद्र के माध्यम से चिकित्सकीय जटिलता वाले अति गंभीर कुपोषित बच्चों के उपचार व देखभाल करनेवाले की काउंसेलिंग की जाती है, ताकि कुपोषण संबंधी मामलों को नियंत्रित किया जा सके. केंद्र के माध्यम से बच्चों काे वैज्ञानिक तरीके से उपचारित किया जाता है. केंद्र में दाखिल बच्चों को विशेष आहार पोषण दिया जाता है, ताकि इलाजरत बच्चों को जल्द से जल्द कुपोषण की समस्या से निजात दिलाया जा सके. पर, इस समय विभागीय अधिकारियों की लापरवाही की वजह से जिले के अति कुपोषित बच्चों का उपचार बाधित हो रहा है. यही नहीं राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक के माध्यम से पोषण पुनर्वास केंद्र का संचालन यथाशीघ्र चालू कराने को लेकर अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये गये हैं. बावजूद इसके केंद्र का संचालन अधर में पड़ाहै.
राज्य के अति कुपोषित जिलों की सूची में शामिल है अररिया
अररिया राज्य के अतिकुपोषित जिलों की सूची में शामिल है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे यानी एनएफएचएस 05 के आंकड़ों के मुताबिक जिले में पांच साल से कम उम्र के 47.8 फीसदी बच्चे अल्पवजन के शिकार हैं. इसी आयु वर्ग के 49.9 फीसदी बच्चों की लंबाई उम्र की तुलना में कम है, तो 23.9 फीसदी बच्चों की लंबाई की तुलना में वजन कम है, जो जिले में कुपोषण की भयावह तस्वीर को दर्शाता है.
केंद्र का संचालन जल्द होगा शुरू
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि केंद्र में इलाजरत बच्चे व उनके अभिभावकों को भोजन उपलब्ध करानेवाली संस्था द्वारा सेवा बाधित किये जाने से केंद्र का संचालन प्रभावित हुआ है. इसका संचालन फिर से शुरू कराने को लेकर जरूरी पहल की जा रही है. जल्द ही केंद्र का संचालन फिर से शुरू हो जायेगा.