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सीमावर्ती क्षेत्रों में खाद्यान्न हो या मादक पदार्थ, इनका स्टॉक कर महिलाओं व बच्चों के माध्यम से भी करायी जाती है सीमा पार तस्करी

सीमावर्ती क्षेत्रों में खाद्यान्न हो या मादक पदार्थ

प्रभात फॉलोअप

स्टॉकिस्टों की सूची भी डीएम व एसपी को करायी गयी है उपलब्ध : कमांडेंट

मृगेंद्र मणि सिंह, अररिया

प्रभात स्टिंग में तस्करों के द्वारा किये जा रहे तस्करी के कई कारनामें खुल कर सामने आये. हालांकि प्रभात खबर से बात-चीत में एसएसबी कमांडेंट ने भी इन बातों को स्वीकार किया. बता दें कि चावल, चीनी, प्याज, शीतल पेय पदार्थ, सीजन पर खाद, बीज, गांजा आदि का स्टॉक सीमा पर हीं विभिन्न स्थानों पर कर दिया जाता है. बाद में वे इन्हें कम मात्रा में महिलाओं व बच्चों के माध्यम से तस्करी कराते हैं. हालांकि लाइनर की सीमा पर मजबूत पकड़ के कारण आराम से सामान भारत से नेपाल की सीमा प्रवेश कर जाते हैं. वहीं देखते हीं देखते खाद्यान्न के अलावा मादक पदार्थ भारत से नेपाल तो नेपाल से भारत में प्रवेश कर जाता है.

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लाइनर ने बना ली थी डुमरिया नो मैंस लेंड में सड़क, नहीं हुई शिकायत के बाद भी कार्रवाई: पूर्व प्रमुख

डुबा टोला चैता में अवस्थित कैंप के जरिये तस्करी का काम बेखौफ होकर चलता है. इसके बाद सोनामनी गोदाम, सिकटिया, डुमरिया, मधुबनी, लैलोखर, खरबन्ना, मेघा असराहा, मजरख से लेकर सिकटी बीओपी तक तस्करों की चांदी कट रही है. लाइनर के रूप में नेपाल के श्रवण व राजेश का नाम सीमावर्ती क्षेत्र में तस्करों के बीच प्रसिद्ध है. कुर्साकांटा के पूर्व प्रमुख सुशील कुमार सिंह ने बताया कि श्रवण मूलत: नेपाल के उखड़कट्टा डुमरिया जो कि नेपाल में हीं पड़ता है. उन्होंने बताया कि बारिश के समय तस्करी रुके नहीं इसके लिए उन लोगों ने डुमरिया नौ मैंस लेंड में ईंट का टुकड़ा डाल कर सड़क बना दिया था, जिस पर ना तो भारती की पुलिस या सीमावर्ती एसएसबी के अधिकारियों ने आपत्ति दर्ज की ना हीं नेपाल के सेना या नेपाली पुलिस ने हीं आपत्ति की. ऐसे में समझा जा सकता है कि एक लाइनर का कद सीमा पर देश से भी ऊंचा हो जाता है. अगर जांच की जाये तो ऐसे कई बड़े गोदाम मिलेंगे जिनका भाड़ा लाइनर के द्वारा हीं दिया जाता है व भारत व नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में उन गोदामों की क्या आवश्यकता है, यह बताना भी मुश्किल हो जायेगा. पूर्व प्रमुख ने बताया कि नेपाल के दो बड़े लाइनर ने लाइजनिंग कर इतनी रकम कमा ली है कि वे लोग अपने भारतीय रिश्तेदारों के नाम से भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीन खरीद चुके हैं.

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सहयोग की है आवश्यकता

सीमावर्ती क्षेत्र के एक से दो किलोमीटर की रेडियस में गोदाम बना कर माल स्टॉक कर रखा जाता है, इनके विरुद्ध हमारे पास ऐसे कोई कानून नहीं हैं कि हम छापेमारी कर इन्हें पकड़े, लेकिन ऐसे कुछ स्टॉकिस्टों की सूचना डीएम व एसपी को पत्र के माध्यम से दी गयी है. अगर उनका सहयोग मिले तो इनके विरुद्ध बड़ी कार्रवाई की जा सकती है.

महेंद्र प्रताप, कमांडेंट 52 वीं वाहिनी एसएसबी

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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