फारबिसगंज प्रखंड के भागकोहेलिया पंचायत के जनक लाल पथ वार्ड संख्या 06 निवासी सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हुए 67 वर्षीय भुवनेश्वर मंडल पिता स्व भब्बी मंडल अपने घर की छत पर जैविक खेती कर अलग अलग मौसम में अलग अलग प्रकार के फलों व सब्जियों की खेती कर एक मिसाल पेश कर रहे हैं. भुनेश्वर मंडल ने बताया कि वे एफसीआइ में कर्मचारी के पद से वर्ष 2017 में सेवानिवृत्त हुए हैं.
Organic Rooftop Farming: बेटे का मिला पूरा सहयोग
इस कार्य में उनके पुत्र कामेश्वर दास जो कि प्रखंड के पिपरा पंचायत के धानी दिग्गी प्राथमिक विद्यालय में एचएम हैं. वे उनका सहयोग करते हैं. उन्होंने बताया कि बाजार से फल व सब्जी खरीद कर लाते थे या दूसरे लोगों से मंगवाते थे. महंगे दामों में फल व सब्जी मिलती थी. बताया कि अधिक मूल्य लगने के बावजूद फल व सब्जी में वह स्वाद नहीं मिल पाता था जो मिलना चाहिए. इसलिए उन्होंने अपने घर की छत पर ही फल व सब्जी का जैविक खेती कर करना शुरू कर दिया.
Organic Rooftop Farming: प्राकृतिक खेती का लाभ
बताया कि अपने घर के सामने पोर्टिको में और अपने मकान के प्रथम तल्ले पर छत पर बड़ा बड़ा गमला बनवा कर लगाया. उसमें खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी डाल कर गोबर के खाद अर्थात जैविक खाद का इस्तेमाल कर उसमें नारंगी,सेब,संतरा, ड्रेगन फ्रूट,नींबू,अमरूद,आम,पान,सहित अन्य फलों व सब्जियों का खेती करना शुरू कर दिया. बताया कि सेब ,संतरा व ड्रेगन फ्रूट फलने लगा. जिसमें काफी स्वाद मिला इस प्रकार के अपने घर में फलों के उपज होने व इसे खाने से इसमें काफी स्वाद मिलता है. बाजार से फल खरीदने में होने वाले आर्थिक बोझ कम होता है.
Organic Rooftop Farming: जैविक खेती से मिली सफलता
घर के छत पर फलने वाले फलों को वे अपने लोगों को उपहार के रूप में भी देने का काम किया. उन्होंने बताया कि नारंगी,संतरा व सेब के खेती के लिए यहां का मौसम व मिट्टी उपयुक्त नहीं है. बावजूद इसके उन्होंने मिट्टी में जैविक खाद का इस्तेमाल कर उसे खेती के लिए अनुकूल बना कर उपरोक्त फलों का खेती करना प्रारंभ किया. इसमें उन्हें सफलता मिली. वहीं इस प्रकार के सब्जी के खेती का दूसरा पहलू उन्होंने ये भी बताया कि यदि इस प्रकार का जैविक खाद से अपने मकानों के छत पर फलों व सब्जियों का खेती करें तो इससे आर्थिक लाभ भी होगा.