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परिवार नियोजन सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं, पुरुषों की भागीदारी भी जरूरी

Population Stabilization Campaign: अररिया जिले में जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा के दौरान 415 महिलाओं का बंध्याकरण हुआ, लेकिन पुरुषों की भागीदारी नगण्य रही. जनसंख्या नियंत्रण में पुरुषों की भूमिका को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है.

Population Stabilization Campaign: राज्य के उच्च प्रजनन दर वाले जिलों की सूची में शामिल है. तेजी से बढ़ती जनसंख्या जिले के लिए एक चुनौती बन चुका है. जिले का कुल प्रजनन दर यानी टीएफआर 4 है. यानी प्रति परिवार महिलाएं औसतन 04 बच्चों को जन्म दे रही हैं. बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं. इसमें परिवार नियोजन कार्यक्रम व लोगों तक स्वास्थ्य सेवाओं की आसान पहुंच सुनिश्चित कराने की पहल शामिल है. इसके अलावा नियमित अंतराल पर विशेष अभियान संचालित करते हुए जिले में जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है. इसी कड़ी में 11 जुलाई से 31 जुलाई के बीच संचालित सेवा पखवाड़ा के तहत जिले में कुल 415 महिलाओं का सफल बंध्याकरण संभव हो सका.

Population Stabilization Campaign: विशेष अभियान में 415 महिलाओं का बंध्याकरण

जिले में 27 जून से 31 जुलाई तक दो चरणों में संचालित जनसंख्या स्थिरीकरण पखवारा के दूसरे चरण सेवा पखवारा संबंधी उपलब्धियों की जानकारी देते हुए डीपीसी सौरव कुमार ने बताया कि सेवा पखवाड़ा के तहत 415 महिलाओं का सफल बंध्याकरण हुआ. वहीं आइयूसीडी 173, पीपीआईयूसीडी 559, 1298 महिलाओं को अंतरा इंजेक्शन लगाया गया. इस दौरान जिले में करीब 53 हजार कंडोम वितरित किये गये, वहीं 7138 माला एन, 7385 छाया व 2354 आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां वितरित किये जाने की जानकारी उन्होंने दी.

Population Stabilization Campaign: अभियान में नगण्य रही पुरुषों की भागीदारी

करीब एक महीने तक संचालित इस अभियान में पुरुषों की भागीदारी नगण्य रही. तमाम प्रयासों के बावजूद पुरुष नसबंदी नहीं हो सका. इस पर चिंता जाहिर करते हुए सदर अस्पताल के वरीय चिकित्सक ने कहा कि जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों को अधिक प्रभावी व उपयोगी बनाने के लिए इसमें पुरुषों की भागीदारी जरूरी है. लेकिन अभी भी इसमें पुरुषों की भागीदारी बेहद सीमित है. जो बेहद चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि भ्रम व गलत धारणाएं परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी को सीमित करता है. जागरूकता के कमी की वजह से अभी ये धारणाएं बनी हुई है. यौन क्षमता व मर्दानगी का ह्रास, सामाजिक व सांस्कृतिक दबाव, डर व अनिश्चितता ऐसी कुछ वजहें हैं. जो समाज में अभी भी जड़ जमाये हुए है. जो निराधार व निरर्थक हैं. अपने परिवार की खुशहाली व समृद्धि के लिए इन गलत धारणाओं के प्रति पुरुषों का जागरूक होना जरूरी है.

Population Stabilization Campaign: नियोजन सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं

सिविल सर्जन डॉ केके कश्यप ने परिवार नियोजन को लेकर समाज में अभी भी एक गलत धारणा व्याप्त है. ये सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं. पुरुषों को भी इसमें सामान्य रूप से अपनी भागीदारी निभाने की जरूरत है. पुरुषों की भागीदारी से परिवार व समाज पर इसका सकारात्मक असर पड़ेगा. लैंगिक समानता बढ़ेगी. दंपति के बीच जिम्मेदारियों के समान बंटवारा से दोनों के स्वास्थ्य स्थितियों में सुधार होगा. यौन संचारित रोगों के प्रसार में कमी आयेगी. इसलिए परिवार नियोजन सेवाओं को अधिक व्यापक व प्रभावी बनाने के लिए पुरुषों की भागीदारी को उन्होंने महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि नसबंदी के लिए पुरुष लाभार्थी को 3000 रुपये व महिला बंध्याकरण के लिए लाभार्थी को 2000 रुपये का प्रोत्साहन सरकार द्वारा दिया जाता है.

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