दोगुने कीमत पर दुकानदार बेच रहे खाद, किसान परेशान
प्रतिनिधि, अररियाजिले में गेहूं की बोआई अपने चरम पर है. ऐसे समय में जिले के किसानों को उर्वरकों की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. इससे बोआई की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है. खेतों की तैयारी पूरी कर किसान बोआई के लिए जरूरी उर्वरकों की उपलब्धता का इंतजार कर रहे हैं. एक तो उर्वरकों की उपलब्धता सीमित है. वहीं दूसरी तरफ उपलब्ध उर्वरकों की बिक्री में विक्रेताओं की मनमानी किसानों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है. खुले बाजार में किसानों से प्रति पैकेट यूरिया के लिए सरकारी दर 266 रुपये की तुलना में 500 रुपये तक वसूले जा रहे हैं. वहीं डीएपी निर्धारित दर 1200 रुपये की जगह किसानों को 1800 सौ रुपये तक भुगतान करना पड़ रहा है. हालांकि विभाग उर्वरकों की कालाबाजारी को रोकने के प्रति गंभीर है. बावजूद इससे किसानों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है.
आवश्यकता की तुलना में उपलब्धता कम
रबी फसलों के बोआई के समय उर्वरकों के कमी किसानों के लिए बड़ी समस्या है. बीते कई सालों से जिले में इस तरह का चलन दिख रहा है. खास कर डीएपी के मामले में तो समस्या हर साल कुछ ज्यादा ही गंभीर हो जाती है. हालात इस बार भी कुछ ऐसा ही है. रबी फसल की बुआई के लिए जिले को 41 हजार एमटी यूरिया की जरूरत है. इसमें अब तक जिला कृषि विभाग को महज 12 हजार 772 एमटी यूरिया ही उपलब्ध हो सका है. इसी तरह जिले को गेहूं की बुआई के इस महत्वपूर्ण समय में कुल 13 हजार 500 एमटी डीएपी की जरूरत है. इसमें अब तक 4259 एमटी की आपूर्ति हुई है. इसी तरह 14 हजार एमटी एनपीके की जगह 2134.500 एमटी, 11 हजार 500 एमटी एमओपी के जगह 5250 एमटी व 4500 एमटी एसएसपी के जगह 965 एमटी ही अब तक जिले को प्राप्त हो सका है. इस तरह जरूरत के हिसाब से अब तक महज 31.55 फीसदी डीएपी, 31.15 फीसदी यूरिया, 15.25 प्रतिशत एनपीके, 45.65 प्रतिशत एमओपी और 21.44 प्रतिशत एसएसपी ही उपलब्ध हो सका है. इससे जिले में उर्वरकों की किल्लत स्वभाविक है. वहीं बाजार में उपलब्ध नकली उर्वरक किसान व विभाग दोनों के लिए सिरदर्द बना हुआ है. किसान हरिकिशोर मंडल, तुलानंद प्रसाद, अनभिज्ञ यादव सहित अन्य की मानें तो जिले के ग्रामीण इलाकों में डीएपी की अनुपलब्धता किसानों के बड़ी परेशानी बनी हुई है. ऊंचे कीमतों पर भी डीएपी बाजार में उपलब्ध नहीं हो रहा है. उपलब्ध डीएपी की गुणवत्ता को लेकर किसान हमेशा असमंजस में रहते हैं. विक्रेताओं के पास उर्वरक उपलब्ध होने के बावजूद सरकारी कीमत पर वे इसे नहीं बेचते हैं. अधिक कीमत लेकर किसानों को पाबती रशीद तक नहीं दिया जाता है. वैसे किसान जिनके पास आवश्यक कागजात नहीं हैं. उनके लिये परेशानी और बड़ी है.
जल्द खत्म होगी उर्वरकों की किल्लत
जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि विभाग को जैसे-जैसे उर्वरक उपलब्ध कराया जा रहा है. विक्रेताओं को इसकी आपूर्ति की जा रही है. उर्वरक कि किल्लत दूर करने के प्रति विभाग गंभीर है. उर्वरकों की कालाबाजारी व नकली उर्वरकों की बिक्री पर प्रभावी नियंत्रण विभाग की प्राथमिकताओं में शुमार है. संबंधित शिकायतों को लेकर तीन विक्रेताओं को निलंबित करने के साथ-साथ दर्जनों दुकानदारों से स्पष्टीकरण पूछा गया है. जिले में लगातार उर्वरक की खेप पहुंच रही है. जल्द ही किसानों को पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध होगा. रसायनिक उर्वरक की तुलना में जैविक उर्वरकों को बेहतर फसल व खेतों की सेहत के लिहाज से उपयोगी बताते हुए उन्होंने इसके इस्तेमाल के प्रति किसानों को जागरूक होने की अपील की.
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