21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

टिकाऊ और बेहतर खेती के लिए पराली जलाना बंद करें जिले के किसान : डॉ सुहाने

कृषि विज्ञान केंद्र भोजपुर की 11वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति की हुई बैठक

आरा.

कृषि विज्ञान केंद्र भोजपुर की 11वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक हुई. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ आरके सुहाने निदेशक प्रसार शिक्षा बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर, विशिष्ट अतिथि डॉ अंजनी कुमार सिंह निर्देशक आइसीएआर अटारी जोन चार पटना, डीआर डीबी सिंह प्रधान वैज्ञानिक अटारी पटना, डॉ पीके द्विवेदी, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रधान केवीके भोजपुर, स्नेहा शीतल प्रबंधक जीविका एवं भीमराज राय किसान भूषण भोजपुर ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया. बैठक में किसी विज्ञान केंद्र के द्वारा विभिन्न कार्यों से जुड़ी गतिविधियों तथा उपलब्धियां के अतिरिक्त वर्ष 2024- 25 की कार्य योजना की समीक्षा की गयी. निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ सुहाने ने कहा कि पूरे शाहाबाद में पराली जलाने की समस्या अभी भी गंभीर स्थिति में है, जिसके कारण कहीं-ना-कहीं खेतों की उर्वरा शक्ति के साथ पर्यावरण पर भी विपरीत प्रभाव देखा जा रहा है. आवश्यकता है सामूहिक रूप में इस पर विचार करके इसे रोकने की. अगर आने वाले समय में 10 से 12 हजार एकड़ के किसान अगर अपनी पराली को सामूहिक रूप से बेचना चाहें, तो इसके लिए बगल के बिक्रमगंज में घुसिया खुर्द में एक सीबी प्लांट की स्थापना हुई है. जिनके द्वारा आपकी समूची पराली खरीद ली जाएगी और उसके बदले में एक निर्धारित मूल्य भी आपको प्राप्त होगा. कृषि विज्ञान केंद्र इस कार्य के प्रचार प्रसार में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करेगा. डॉ अंजनी कुमार सिंह निदेशक अटारी ने नारी योजना के अंतर्गत जिले में पोषण वाटिकाओं की शृंखला स्थापित करने का निर्देश देते हुए कहा कि कोष की कोई कमी नहीं है. भारत सरकार की इच्छा है कि जिले में कुपोषण हटाने के लिए यह जागरूकता का एक अच्छा माध्यम होगा और अपने लिए अपने किचेन गार्डन में लोग स्वयं की इच्छा अनुसार ताजी एवं स्वस्थ सब्जियां पैदा करने में सफल होंगे. श्रीअन्न के एक आदर्श गांव का चयन किया जाये और वहां पर इसके संस्करण से लेकर विभिन्न प्रकार के मूल्य संवर्धन से जुड़े कार्यक्रमों को करके लोगों के लिये आये के नये अवसर सृजित किया जाये. डॉ पी के द्विवेदी ने जानकारी दी कि जिले में संसाधन संरक्षण तकनीक के विकास के लिए वर्ष 2001 से कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं, जिसके परिणाम स्वरूप आज जिले में 47000 एकड़ से ज्यादा भूमि में आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर जल एवं भूमि का संरक्षण किया जा रहा है. जिससे प्रतिवर्ष किसानों के करोड़ों रुपये की बचत हो रही है. इसी क्रम में यह भी जानकारी दी गई कि जिले में तिलहन एवं दलहन के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम चल रहे हैं, जिसमें भारत सरकार के सहयोग से सीड हब कार्यक्रम के अंतर्गत इस वर्ष उन्नत प्रवेद के मसूर आइपीएल 220 का 600 क्विंटल तथा बहुत ही अच्छी उत्पादन देने वाली छोटे दाने की चने की किस्म जीएनजी 2299 का 400 कुंतल बीच केंद्र के द्वारा उत्पादित किया गया है और यह बीच किसानों के लिए उचित मूल्य पर उपलब्ध है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें