औरंगाबाद शहर.
कोरोना काल की भयावहता व बुरे दौर को अभी भूले भी नहीं कि अब नये वायरस एचएमपीवी का खतरा मंडराने लगा है. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है. इससे संबंधित एडवाइजरी राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जारी की गयी है और सिविल सर्जन को सतर्कता बरतने व निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है. देश में इसके कई मामले सामने आने के बाद बिहार सरकार ने ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारियों, मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों, और जिला स्वास्थ्य समितियों को अलर्ट जारी किया है. इसके बाद से सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिंह, डीपीएम मो अनवर लगातार इसकी निगरानी कर रहे हैं. इस वायरस के कारण श्वसन तंत्र संबंधित बीमारियों में वृद्धि हो सकती है. इस नये वायरस से लड़ने के लिए सतर्कता जरूरी है. राज्य स्तर से आदेश प्राप्त होने के बाद जरूरी एहतियात बरती जा रही है और सदर अस्पताल सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाओं को और बेहतर बनाया जा रहा है. आवश्यकता पड़ने पर स्पेशल वार्ड बनाने की भी पूरी तैयारी है.क्या है एचएमपीवी
एचएमपीवी एक सामान्य श्वसन से संबंधित वायरस है. हालांकि, इसकी पहचान पहले ही हो चुकी है. यह वायरस खांसी, बुखार, गले में खराश, नाक बंद और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण पैदा कर सकता है. गंभीर मामलों में यह ब्रोंकाइटिस और न्यूमोनिया का कारण बन सकता है. ऐसे लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी गयी है.
एचएमपीवी के लक्षण और फैलने का तरीका
एचएमपीवी के लक्षण कोविड-19 से काफी मिलते-जुलते हैं. इसके सामान्य और गंभीर लक्षण मिलने पर लापरवाही नहीं बरतने की सलाह दी गयी है. इसके सामान्य लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना, गले में खराश, सांस लेने में कठिनाई आदि शामिल है. जबकि ब्रोंकाइटिस और न्यूमोनिया को गंभीर लक्षण की श्रेणी में माना जा सकता है. यह वायरस मुख्यतः संक्रमित व्यक्ति की खांसी, छींक से व संक्रमित सतहों के संपर्क मंद आने से फैलता है. संक्रमित वस्तुओं को छूने के बाद मुंह, नाक, और आंखों को छूने से भी संक्रमण हो सकता है.
इन्हें चपेट में आने की अधिक संभावना
एचएमपीवी का इन्क्यूबेशन पीरियड 3-6 दिन का होता है. यह वायरस मुख्यतः सर्दियों और शुरुआती वसंत के मौसम में फैलता है. कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्ति, छोटे बच्चे, और 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग इससे अधिक प्रभावित हो सकते हैं. जानकारी के अनुसार, एचएमपीवी का कोई विशिष्ट टीका या एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है. लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है. वैसे सलाह दी जाती है कि अधिक से अधिक पानी का सेवन करें. पर्याप्त आराम करें. चिकित्सक द्वारा दी गयी दवाओं का उपयोग करें और गंभीर मामलों में ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता पड़ सकती है.
स्वास्थ्य विभाग ने दी है ये गाइडलाइंस
राज्य सरकार ने संक्रमण को रोकने के लिए कई कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. सभी जिलों के सिविल सर्जन व स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारियों को इसका पालन सुनिश्चित करते हुए अलर्ट मोड में रहने को कहा गया है. अस्पतालों को इंफ्लंएजा लाइक इलनेस (आईएलआई) और सेवर एक्यूट रिस्पायटरी इंफेक्शन (एसएआरआई) मामलों की निगरानी कर आइएचआइपी पोर्टल पर प्रतिदिन रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है. वहीं संक्रमण के मामले बढ़ने पर अस्पतालों में फ्लू-कॉर्नर को सक्रिय करने, अस्पतालों में इन्फेक्शन कंट्रोल प्रैक्टिसेस का सघन निरीक्षण करने, गंभीर एसएआरआइ मामलों के सैंपल को पुणे के एनआइवी लैब में भेजने, कोविड-19 से संबंधित दवाओं, किट, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन और मास्क सहित आवश्यक सामग्रियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा सभी स्वास्थ्य कर्मियों को एचएमपीवी के बचाव और इलाज के तरीकों की जानकारी देने का निर्देश दिया गया है.ये हैं इससे बचाव के उपाय
एचएमपीवी से बचाव के लिए कोविड-19 के समान ही उपाय सुझाये गये हैं. हाथों की स्वच्छता : साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोएं.सतर्कता : गंदे हाथों से आंख, नाक, और मुंह न छुएं.
सोशल डिस्टेंसिंग : संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाये रखें.साफ-सफाई : संक्रमित वस्तुओं और सतहों को नियमित रूप से साफ करें.आइसोलेशन : संक्रमित होने पर खुद को आइसोलेट करें.
सुरक्षा के उपाय : खांसते और छींकते समय रूमाल का उपयोग करें.अलर्ट मोड में विभाग, रखी जा रही नजर : सिविल सर्जन
राज्य स्तर से अलर्ट मोड में रहने का निर्देश दिया गया है. इसके बाद निगरानी की जा रही है. एचएमपीवी के लक्षण ब्रोंकाइटिस और न्यूमोनिया जैसे हो सकते हैं. वैसे आश्यकता पड़ने पर सदर अस्पताल में विशेष वार्ड तैयार कर दिया जायेगा. पर्याप्त मात्रा में दवाएं और अन्य सभी सुविधएं उपलब्ध हैं. मरीजों की जांच रिपोर्ट पर भी नजर रखी जा रही है. वैसे फिलहाल चिंता की बात नहीं है. लेकिन, सावधानी व सतर्कता बरतनी चाहिए.डॉ विनोद कुमार सिंह, सिविल सर्जनB
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