औरंगाबाद/कुटुंबा. सरकार की शिक्षा विभाग बेहतर शिक्षा के मायने में चाहे जितनी भी लोकप्रियता हासिल कर ले, पर इसमें वांछित सुधार नहीं हुआ है. कहीं न कही खामियां रह ही गयी है. इसकी मुख्य वजह सरकारी व निजी विद्यालयों के बीच भेद-भाव बताया जाता है. एक तरफ सरकार सरकारी संस्थानों को विशेष तरजीह दे रही है. वहीं, निजी विद्यालयों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. विभिन्न वित्त रहित शिक्षण संस्थान के प्राध्यापकों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले किसी भी सरकारी इंटर संस्थान में विषयवार शिक्षक नहीं है. यहां तक कि छात्र-छात्राओं को बैठकर पढ़ने के लिए पर्याप्त क्लासरूम नहीं है. इन दोनों के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है. लेबोरेट्री में विद्यार्थियों के प्रैक्टिकल करने के लिए आवश्यक उपकरण का अभाव है. बच्चे अभी तक कांच नली काटना-मोड़ना तक नहीं जानते है. इधर, लाइब्रेरी में पाठ्यक्रम के अनुसार सभी विषयों की किताबें नहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों में हाइ स्कूल व इंटर स्कूल के लिए कम-से कम तीन एकड़ व शहरी क्षेत्र में एक एकड़ जमीन की जरूरत है. इसके अलावा 50 फुट के क्लासरूम के साथ-साथ अलग प्राचार्य कक्ष होना चाहिए. बगैर मानक पूरा किए मिडिल स्कूलों को अपग्रेड कर मैट्रिक और इटंर का कोड आवंटित कर दिया गया है. वहीं, वित्त रहित संस्थानों को मापदंड पूरा नहीं करने पर उनकी मान्यता रद्द कर दी जा रही है. इस तरह के सौतेला व्यवहार से मान्यता प्राप्त संस्थान के शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारी मायूस है. महिला कॉलेज मुड़िला अंबा के प्राचार्य दिनेश कुमार सिंह और जनता कॉलेज के प्राध्यापक प्रो श्याम प्रकाश पाठक ने शनिवार को स्थानीय विधान पार्षद जीवन कुमार से दूरभाष पर संपर्क कर कर्मियों के समस्या से अवगत कराया गया. विधान पार्षद ने शिक्षा मंत्री से बात कर यथासंभव समस्या से निजात दिलाने का आश्वासन दिया है. अपग्रेड स्कूलों में शिक्षको की भारी कमी अपग्रेड हाइ स्कूल व पल्स टू स्कूलों में विषयवार शिक्षको की भारी है कमी है. इसके बावजूद बोर्ड ने ओएफएसएस के तहत 11वीं कक्षा में लिमिट सीट से अधिक बच्चों के एडमिशन लेने के लिए मेरिट लिस्ट जारी कर दिया है. वहीं वित्त रहित शिक्षण संस्थानों के साथ अनदेखी की जा रही है. हालांकि, उच्च न्यायालय ने बच्चों को मनपसंद संस्थानों में नामांकन कराने की इजाजत दे दी है. जानकारी के अनुसार, हाइ स्कूल कुटुंबा में आर्ट्स संकाय में लिमिट सीट 146 के विरुद्ध में 241 तथा साइंस संकाय में 120 के विरुद्ध में 201 बच्चों को 11वीं कक्षा में एडमिशन कराने के लिए सूची निर्गत किया गया है. इधर, गर्ल्स हाईस्कूल अंबा में आर्ट्स संकाय में 120 के विरुद्ध 257 व साइंस संकाय में 176 बच्चों की सूची जारी की है. पल्स टू हाइ महाराजगंज में भी लिमिट सीट 200 के विरुद्ध आर्ट्स में 260 व साइंस में 219 बच्चों को मेरिट लिस्ट तैयार किया गया है. इसी तरह से अन्य पल्स टू स्कूलों में भी लिमिट सीट से काफी अधिक बच्चों को इंटर में नामांकन कराने के लिए मेरिट लिस्ट जारी किया गया है. कहीं दो, तो कही चार शिक्षक कुटुंबा प्रखंड के पल्स टू स्कूलों के किसी संकाय में सभी विषयों के शिक्षक नहीं है. विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार अपग्रेड हाइस्कूल रिसियप के साइंस संकाय में तीन और आर्ट्स में चार, कुसूमा बसडीहा साइंस में दो और आर्ट्स एक शिक्षक है. जीवा बिगहा में साइंस के दो और आर्ट्स के चार, दरमी में आर्ट्स के तीन, बैजाबिगहा व घेउरा में दोनों संकाय में दो-दो शिक्षक है. इसी तरह से बैरांव में साइंस के एक व आर्ट्स के दो शिक्षक है. तेलहारा में साइंस के एक व आर्ट्स के दो, दधपा स्कूल में साइंस के एक व आर्ट्स के तीन, चितावंन बिगहा साइंस संकाय में दो व आर्ट्स में एक, तुरता में साइंस के एक व आर्ट्स के दो, चौखड़ा में साइंस के तीन व आर्ट्स के चार, पिपरा बगाही आर्ट्स के एक और साइंस के दो, किशुनपुर साइंस के एक व आर्ट्स के दो, झखरी में साइंस के तीन, महसू में साइंस के तीन व आर्ट्स के दो तथा पोला गोडिहा में साइंस के एक तथा आर्ट्स में मात्र तीन शिक्षक है. यहां तक की अधिकांश पल्स स्कूलों के शिक्षक स्नातकोत्तर योग्यताधारी नहीं है. क्या बताते हैं डीइओ जिला शिक्षा पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि बगैर योग्य शिक्षक के क्वालिटी एडुकेशन की परिकल्पना संभव नहीं है. निर्धारित समय पर पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत व उर्दू आदि लिटरेचर विषयों के साथ आर्ट्स साइंस व कॉमर्स संकाय में अलग-अलग विषय के शिक्षक होना जरूरी है.
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