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Banka News : बेरोजगारी में चुना खेती का रास्ता, आज कई हाथों को दे रहे काम

झारखंड के किसान बिहार में मिर्च की खेती कर रहे हैं. इसके लिए पट्टे पर पांच बीघा जमीन ली है. वहीं बंपर पैदावार होने से किसानों को खुशी भी मिल रही हैं. लेकिन मंडी में भाव कम मिलने से थोड़े मायूस भी हैं.

Banka News : दीपक चौधरी, कटोरिया : मैट्रिक पास करने के बाद आर्थिक तंगी व बेरोजगारी का दंश झेल रहे झारखंड के देवघर के किसान ने खेती का रास्ता चुना. आरंभ में थोड़ी दिक्कतों का सामना अवश्य करना पड़ा किंतु हार नहीं मानी. आज वे आर्थिक रूप से सबल तो हो ही रहे हैं साथ अन्य लोगों को भी काम दे रहे हैं. देवघर जिला अंतर्गत मोहनपुर थाना क्षेत्र के मोरने गांव निवासी किसान पिंटू यादव पिछले पांच सालों से बांका के कटोरिया प्रखंड के कटियारी पंचायत अंतर्गत कदमाटांड़ गांव में पांच बीघा जमीन पट्टे पर लेकर मिर्च की खेती कर रहे हैं. इससे क्षेत्र के अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिल रही है. इस वर्ष उन्होंने टेंगरिया गांव में पांच बीघा जमीन पच्चीस हजार रुपये प्रतिवर्ष पट्टे पर ली है. किसान पिंटू यादव के साथ एक पार्टनर पवन सिंह ग्राम मंझलाडीह भी उनका सहयोग कर रहे हैं. किसान पिंटू बताते हैं कि खेती यदि सही तकनीक व सूझबूझ के साथ की जाये, तो यह लाभ का कारोबार है. मिर्च की खेती भी बड़ी कमाई वाली है. हालांकि इस वर्ष मंडी में मिर्च का भाव सही नहीं मिलने से किसानों में थोड़ी निराशा अवश्य है.

इस वर्ष मंडी में मंदा है मिर्च का भाव

किसान पिंटू यादव ने बताया कि इस वर्ष मिर्च का बंपर पैदावार हुई है. लेकिन मंडी में मिर्च का भाव ही मंदा है. अभी 30 से 35 सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से मिर्च बिक रही है. करीब 25 दिन पहले तो आठ सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से हरी मिर्च बिकी. जबकि खेत में मिर्च तोड़वाने के लिए मजदूरों को छह रुपये प्रति किलो का भुगतान करना होता है. यहां से बांका, देवघर, हंसडीहा, तारापुर व भागलपुर मंडी ले जाकर मिर्च की बिक्री करते हैं. लाल मिर्च को सुखाकर घर पर स्टॉक कर लेते हैं. सही भाव होने पर ही उसे बाजार ले जाते हैं.

गन्ना व टमाटर की भी करते हैं खेती

किसान पिंटू यादव ने बताया कि झारखंड बॉर्डर से सटे जयपुर क्षेत्र के विभिन्न गांवों में पट्टे पर जमीन लेकर वे मिर्च के अलावा गन्ना, टमाटर व आलू की भी खेती करते हैं. खेती करने का अंदाज देखकर अन्य किसान भी पिंटू से प्रभावित व प्रेरित होते हैं.कदमाटांड़ गांव में बिंगर किस्म की मिर्च की खेती की जा रही है.

कैसे करें मिर्च की बुआई

किसान पिंटू यादव बताते हैं कि मिर्च की कई अच्छी प्रजातियां बाजार में हैं. उन्हें साल में कभी भी बोया जा सकता है. सभी मिर्चों की सही देखभाल करने की जरूरत होती है. पिंटू यादव मिर्च की नर्सरी भी स्वयं ही तैयार करते हैं. फिर क्यारी बनाकर दो-दो फिट की दूरी पर मिर्च के पौधे लगाते हैं. पौधों में बीमारी लगने पर कीटनाशक का छिड़काव भी करते हैं. खेती की सफाई व सिंचाई बेहतर ढंग से करनी पड़तीहै.

दिन भर में सौ से डेढ़ सौ रुपये ही मिल पाती है मजदूरी

खेत में मिर्च तोड़ने के काम में दिन भर में सौ से डेढ़ सौ रुपये ही मजदूरी मिल पाती है. दिन भर में पंद्रह से बीस किलो तक मिर्च तोड़ने का काम हो पाता है. प्रतिकिलो छह रुपये मिलते हैं
-ढेना मुर्मू, महिला मजदूर

गांव के पास ही मिल जाता है काम

मिर्च तोड़ने के काम में भले ही मजदूरी कम मिलती है, लेकिन गांव के पास ही काम मिल जाता है. घर-परिवार के सभी सदस्य मिर्च तोड़ने खेत आ जाते हैं. काम में मन भी लग जाता है.
-नीलमुनि मुर्मू, महिला मजदूर

आर्थिक तंगी के कारण खेती का चुना रास्ता

मैट्रिक तक की पढ़ाई करने के बाद बेरोजगारी का दंश झेल रहा था. घर में आर्थिक तंगी के कारण कई कठिनाई झेलनी पड़ रही थी. फिर खेती का रास्ता चुना, जो फायदेमंद साबित हुआ. आज कई मजदूरों को काम भी दे पा रहा हूं.
-पिंटू यादव, किसान, ग्राम मोरने (झारखंड)

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