Bihar Election History: बांका से सुभाष वैद्य. प्रसिद्ध समाजवादी नेता मधु लिमये के राजनीतिक जीवन की चर्चा बांका संसदीय क्षेत्र के बिना अधूरी है. महाराष्ट्र के पुणे के रहनेवाले मधु लिमये एक मराठी होने के बावजूद लगातार दो-दो बार बांका व मुंगेर यानी कुल चार बार बिहार से जीत कर संसद पहुंचे थे. एक मराठी व्यक्ति का बिहार से चार बार चुनाव जीतना अपने आप में अनोखा रहा. 1973 में तत्कालीन सांसद शिव चंडिका प्रसाद के असामयिक निधन से खाली हुई बांका सीट से उपचुनाव लड़ने पहली बार मधु लिमये बांका आये थे. गोवा मुक्ति आंदोलन से सुर्खियों में आये मधु लिमये के लिए बांका में अपनी सियासी पैठ जमाना चुनौती थी. जनता के बीच में लगातार सक्रियता से न सिर्फ 1973 के उपचुनाव, बल्कि 1977 के चुनाव में भी मधु लिमये विजयी रहे.
1977 में भारी मतों से जीते थे मधु लिमये
1977 में जेपी मूवमेंट व आपातकाल के कारण कांग्रेस विरोधी लहर में मधु लिमये ने भारी मतों से जीत हासिल की थी. इस चुनाव में उन्होंने चंद्रशेखर सिंह को करीब डेढ़ लाख मतों से हराया था. मधु लिमये को 239550 और चंद्रशेखर सिंह को 78866 वोट मिले थे. मधु लिमये के चुनाव की बागडोर जॉर्ज फर्नांडिस संभालते थे. बाद में 1980 का चुनाव मधु लिमये हार गये. उस दौर के एक वाकया का जिक्र करते हुए जेपी मूवमेंट से जुड़े कृष्णदेव सिंह बताते हैं-1980 का लोकसभा चुनाव था. मैदान में फिर एक बार मधु लिमये और कांग्रेस से चंद्रशेखर सिंह आमने-सामने थे. ढाकामोड़ स्थित सोशलिस्ट पार्टी के लीडर हरिशंकर सहाय के घर पर मधु लिमये के साथ वे सभी चुनावी रणनीति बना रहे थे. जॉर्ज फर्नांडिस चुनाव के लिए मुंबई से एक गाड़ी भरकर साजो समान लाये थे. इसमें बैनर, पोस्टर इत्यादि सामग्री थी. चंदा से इकट्ठा धनराशि का भी प्रबंध कर लाये थे. लेकिन मधु लिमये ने संसाधन और पैसे लेने से साफ मना कर दिया.
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सच हुई जॉर्ज की भविष्यवाणी
कृष्णदेव सिंह बताते हैं कि मधु लिमये ने साफ शब्दों में जॉर्ज से कहा-‘कुछ भी हो जाये जॉर्ज जी मैं पैसे की राजनीति नहीं करूंगा.’ उन्होंने पैसा सहित सभी समान को लेने से सम्मान पूर्वक मना कर दिया. जार्ज साहब सभी चुनावी सामग्री और पैसे लेकर वापस लौट गये. जाते-जाते जॉर्ज फर्नांडिस ने पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहा-अबकी मधु जी चुनाव हार गये. हुआ भी कुछ ऐसा ही. 1980 के चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी चंद्रशेखर सिंह को 171781 और मधु लिमये को 95358 मत प्राप्त हुए और मधु लिमये चुनाव हार गये. इस चुनाव के बाद मधु लिमये ने एक प्रकार से बांका की राजनीति से किनारा कर लिया. पुराने लोग बताते हैं कि 1973, 1977 व 1980 के चुनाव में मधु लिमये चादर बिछाकर जनता से चुनाव लड़ने के लिए चंदा मांगते थे. बहरहाल, बांका से दो बार मधु लिमये के चुनाव जीतने के कारण बांका को देश-दुनिया में ख्याति मिली.