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महंगाई पर आस्था भारी, बाजार में तीज की हरियाली छायी

वहीं हरितालिका तीज को लेकर बाजारों की रौनक बढ़ गयी है. व्रत को लेकर सुहागिन महिलाएं नये वस्त्र, आभूषण, पूजा सामग्री आदि की खरीदारी करने लगी हैं.

देर शाम तक बाजार में होती रही खरीदारी, सुहाग से जुड़ी सामग्री, फल व मिठाई खूब हुई बिक्री

गौरव कश्यप, पंजवारा

भारतीय संस्कृति में पर्व-त्योहार तथा उसके अंतर्गत रखा जाने वाला व्रत-उपवास न सिर्फ एक परंपरा है अपितु एक सांस्कृतिक उत्सव भी है. उत्सव इसलिए कि ये सभी पर्व-उपवास प्रकृति व उसके संरक्षण से सीधे तौर पर जुड़ा है, जो संतुलित जीवन शैली के साथ जीवन में आनंद की सृष्टि हो सके. भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाये जाने वाला हरितालिका व्रत यानी तीज पर्व और चौरचंद या चौठचंद प्रकृति के साथ आत्मीय संबंध को दर्शाता है. इस साल हरितालिका व्रत यानी तीज पर्व पर अत्यंत ही शुभ संयोग बन रहा है. यह पर्व आगामी छह सितंबर शुक्रवार को मनाया जायेगा. इसी दिन चौरचंद या चौठचंद भी मनाया जायेगा. भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया एवं चतुर्थी एक ही दिन होने के कारण इस वर्ष तीज और गणेश चतुर्थी व्रत के साथ चौरचंद एक ही दिन है. यह व्रत अपनी संतान और पति के लंबी आयु एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए किया जाता है. हरितालिका व्रत कुंवारी व विवाहित, नवविवाहित महिलाएं माता पार्वती एवं भगवान भोले नाथ की पूजा आराधना के साथ रखा जाता है. वहीं हरितालिका तीज को लेकर बाजारों की रौनक बढ़ गयी है. व्रत को लेकर सुहागिन महिलाएं नये वस्त्र, आभूषण, पूजा सामग्री आदि की खरीदारी करने लगी हैं. बहू-बेटियों के घर भी तीज की सामग्री भेजी जाने लगी है. इस बार छह सितंबर को हरितालिका (तीज) व्रत है.

बाजार में महंगाई पर आस्था रही भारी

शहर के बाजार में एक दुकान से साड़ी खरीद रही गृहिणी प्रियंका कुमारी का कहना था कि चाहे जितनी महंगाई हो जाये, व्रत तो करना है. वहीं राखी देवी के मुताबिक यह सच है कि महंगाई का असर पर्व-त्योहारों पर पड़ा है. बावजूद इसके तीज को पूरी आस्था व भक्ति भावना के साथ मनाना है. वहीं वर्षा कुमारी कहती हैं कि पूजन सामग्री नहीं अपितु आस्था अहम है. सुहागिन महिलाएं सदा से तीज पर्व करती आयी हैं. ऐसे में महंगाई से दिक्कतें तो जरूर बढ़ी हैं, लेकिन इससे पर्व-त्योहार तो रुकने वाला नहीं है. जबकि रेखा कुमारी ने कहा कि सनातन संस्कृति से जुड़े हुए पर्व त्योहार को कर बहुत ही आनंद की अनुभूति होती है. पूरी श्रद्धा के साथ इस पर्व को मनाया जाता है.

पर्व पर बेटी के घर तीज भेजने की भी है परंपरा

तीज पर्व के मौके पर मायके से बेटी के घर यानी ससुराल में तीज भेजने की भी परंपरा है. जिसमें बेटी के सुहाग से जुड़े सभी सामान, वस्त्र व मिठाई भेजे जाते हैं. सामर्थ्य के अनुसार लोग इस परंपरा का निर्वहन करते हैं. ऐसे भी तीज पर्व को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह है. इस दरम्यान व्रती निर्जला उपवास रख कर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करती हैं. ऐसी मान्यता है कि हिमालय राज की पुत्री पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए भाद्र शुक्ल पक्ष तृतीया को निर्जला उपवास रख भगवान शिव को डलिया चढ़ाकर विशेष पूजा अर्चना की थी. तब से सुहागिन महिलाएं अखंड सुहाग के लिए इस व्रत को करने लगी हैं.

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