-अच्छी बारिश की वजह से शतप्रतिशत बिचड़े की बुआई हो गयी है समाप्त
-जगह-जगह धनरोपनी की सुगबुगाहट भी हो गयी है शुरु-गन्ना और जूट की खेती में उदासी
प्रतिनिध, बांकासदर प्रखंड के पड़रिया गांव निवासी व प्रगतिशील किसान दीपक चौधरी ने बताया कि उन्होंने चार एकड़ धान की खेती के लिए 20 किलो धान का बिचड़ा खेत में डाला था. परंतु बीच में तीखे धूप की वजह से बिचड़े पर प्रतिकूल असर पड़ने लगा. कहीं बिचड़ा धूप की वजह से खराब न हो जाय इस डर से उन्होंने 10 किलो और अतिरिक्त बिचड़ा क्षतिपूर्ति के लिए खेत में डाल दिया. यह समस्या दीपक जैसे कई किसानों के पास नजर आयी. दरअसल, जुलाई में अच्छी-खासी बारिश के बीच धान बिचड़ा बचाने का संकट किसानों के बीच बन गया है. बीच के दिनों में चिलचिलाती धूप से बिचड़े पर नुकसान साफ देख जा रहा है. बहरहाल, धान की खेती भले ही विलंब से संपन्न होने के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन मोटे अनाज की खेती यहां पहली बार संपन्न होने के कगार पर है. जानकारी के मुताबिक, इस बार खरीफ में 1481.16 हेक्टेयर में मोटे अनाज की खेती का लक्ष्य रखा गया था. अबतक 94.21 फीसदी यानी 1395.35 हेक्टेयर में खेती संपन्न हो गयी है. मोटे अनाज के तौर पर विशेष रुप से ज्वार, बाजरा, मडुआ आदि फसलों की खेती की गयी है. वहीं धान की भी स्थिति अच्छी कही जा सकती है. लेकिन, कहीं-कहीं चिलचिलाती धूप में बिचड़े पर प्रतिकूल प्रभाव भी नजर आ रहा है. कई खेत-बहियारों बिचड़े के फसल में पीलापन आ गया है और तो और जमीन में भी दरार दिख रहे हैं. हालांकि, यह मसला पहाड़ी व जंगली इलाकों में अधिक देखी जा रहा है. बहरहाल, जिले में इस बार 10592.5 हेक्टेयर में बिचड़े की बुआई का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है.. वहीं धनरोपनी की बात करें तो कई जगहों पर जहां-जहां बिहन यानी बिचड़ा तैयार हो गया है वहां धनरोपनी भी जारी है. इस बार बांका में 1 लाख 5 हजार 616.13 हेक्टेयर में धान रोपनी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें अबतक 6355.55 हेक्टेयर में धनरोपनी हुई है, जिसका प्रतिशत 6.02 होता है. खरीफ की दूसरी प्रुमख फसल की रिपोर्ट देखें तो मक्का की भी खेती लक्ष्य के विपरीत 88.61 फीसदी 6052.25 हेक्टेयर में पूरी कर ली गयी है. इसी प्रकार दलहन और तेलहन में भी 90 फीसदी तक की खेती कर ली गयी है. कुल खरीफ की खेती 1 लाख 28 हजार 702.42 हेक्टयेर में हो रही है. जबकि, अबतक 28339.12 हेक्टेयर यानी 22.02 फीसदी खेती हो पायी है. बीज की मात्रा 2341.90 क्विंटल आवंटित की गयी थी, जिसमें 2240.57 क्विंटल वितरण हो चुका है.
गन्ना और जूट में रुचि नहीं
गन्ना और जूट की खेती में इस बार उदासी छायी हुई. गौरतबल हो कि विभाग से इन दोनों की खेती के लिए लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं. लेकिन, उपलब्धि अबतक शून्य बतायी जा रही है. बहरहाल, जुलाई की बारिश ने किसानों की उदासीनता को पाटा है. एक महीने के अंदर बिचड़ा लगभग तैयार हो जाने की उम्मीद है. 15 अगस्त से बड़े पैमाने में धनरोपनी एक साथ प्रारंभ हो सकती है. हालांकि, यह सब मौसम पर निर्भर करता है. बिचड़ा बुआई के बावजूद पानी की दरकार बनी है. खासकर खेत में कीचड़ आदि करने में पानी की अत्यंत आवश्यकता से अभी इंकार नहीं किया जा सकता है.बारिश का बनता, बिगड़ता मौसम
जुलाई माह में इस बार शुरुआत से ही अच्छी बारिश हो रही है. परंतु, बीच-बीच में तीखी धूप और बारिश नहीं होती है. जिसका असर फसल पर पड़ना स्वभाविक है. हालांकि, 22 जुलाई सोमवार को आसमान पर बादल छाये रहे और बीच-बीच में बारिश भी होती रही. जुलाई माह का सामान्य वर्षापात 296.6 एमएम है. जबकि, 258.53 एमएम औसत बारिश हो चुकी है. देखा जाय तो 13 जुलाई के बाद से बारिश में गिरावट देखी गयी है. लेकिन, उम्मीद है की आगे सावन महीना प्रारंभ होने के साथ अच्छी-खासी जमकर बारिश होगी. जिला कृषि पदाधिकारी दीपक कुमार ने बताया की खरीफ मौसम में धान के अतिरिक्त अन्य फसलों की खेती जारी है. बारिश की संभावना आगे भी नजर आ रही है.
खरीफ फसल की स्थिति (हेक्टेयर में)
फसल लक्ष्य उपलब्धि
धान का बिचड़ा 10592.5 10592.5
धान की रोपनी 105616.13 6355.55मक्का 6829.91 6052.25
दलहन 2581.25 2392.25तेलहन 114.76 112.22
मोटे अनाज 1481.16 1395.35गन्ना 38.84 शून्य
जूट 9.1 शून्यढैंचा 1439.00 1439.00
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