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26 को देवी मंदिरों में बोधन कलश का आगमन के साथ चढ़ेगा दशहरा का रंग, श्रद्धालुओं में बढ़ी उमंग.

बोध नवमी कलश की स्थापना के साथ ही मेढ़पति परिवार का दुर्गा पूजा नेम-निष्ठा के साथ शुरू हो जायेगा

बोधनवमी कलश स्थापना को लेकर मंदिरों में तैयारी हुई तेज. चंदन कुमार, बांका जिलेभर में बंगला पद्धति से दुर्गा मंदिर में होने वाली पूजा को लेकर तैयारी शुरु हो गयी है. इसको लेकर मंदिर में रंग-रोगन के साथ-साथ साफ-सफाई का कार्य को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इस साल जीवितपुत्रिका व्रत के दूसरे दिन यानि 26 सितंबर गुरुवार की संध्या बेला में बोधनवमी कलश को स्थापित किया जायेगा. कलश स्थापना के साथ देवी मंदिरों में चंडी पाठ शुरू हो जायेगा और नवमी तक जारी रहेगा. इस दौरान करहरिया दुर्गा मंदिर, जगतपुर दुर्गा मंदिर, कुनौनी दुर्गा मंदिर, मंझियारा गांव स्थित दुर्गा मंदिर, दलिया दुर्गा मंदिर सहित अन्य देवी मंदिर में यहां के मेढ़पति परिवार द्वारा नदी में स्नान ध्यान करने के बाद काफी नियम निष्ठा के साथ बोध नवमी के कलश में जल भरकर उसे दुर्गा मंदिर में स्थापित किया जायेगा. बोध नवमी कलश की स्थापना के साथ ही मेढ़पति परिवार का दुर्गा पूजा नेम-निष्ठा के साथ शुरू हो जायेगा. गुरुवार से इन मंदिरों में प्रत्येक दिन चंदी पाठ से पूरा वातावरण गुंजायमान रहेगा. वहीं जिले में गुरुवार से भगवती की पूजा प्रारंभ होने के पूर्व श्रद्धालुओं में खुशी की लहर है. इसे लेकर सभी तरह की तैयारी को पूरी की जा रही है. जबकि मेढ़पति परिवार सहित अन्य ग्रामीण गंगा आदि स्नान कर शुद्ध होकर पूरे घर को शुद्धी करने में लगे हुए है. -बंगला पद्धति से 17 दिन तक जारी रहेगी पूजा. बंगला पद्धति से मां भगवती की पूजा अर्चना 17 दिनों तक की जाती है. बोध नवमी के कलश स्थापन के साथ दुर्गा पूजा की नवमी तक यानी 17 दिनों तक दुर्गा मंदिर में चंडी पाठ होता है. नवमी को हवन कर पूजा का समापन किया जाता है. बोध नवमी यानि इसे ज्ञान के कलश की पूजा कही जाती है. इसे पाषाण पूजा भी कही जाती है यानी मिट्टी की पूजा कही जाती है. वहीं चार पूजा को छटपटो मां की कलश आती है. जबकि सात पूजा को भगवती का आगमन होता है. -भगवती के दस दिनों में नौ रूपों की जाती है पूजा. बौंसी गुरुधाम के पंडित गोपाल शरण ने बताया कि भगवती के नौ रात व दस दिन के दौरान देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है. दसवां दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है. नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों महालक्ष्मी, सरस्वती एवं दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है. जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं. इन नौ रात और दस दिन के दौरान शक्ति देवी के नौ दिन में नौ रूप की पूजा की जाती है. शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिस्पर्धा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र शक्तियों की नवधा पूजा की जाती है.

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