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Lok Sabha Election 2024: गिरिधारी व जयप्रकाश के बीच में होगा मुख्य मुकाबला

Lok Sabha Election 2024 बांका में बुधवार की शाम पांच बजे चुनाव प्रचार थम जायेगा. इसके बाद वोट प्रबंधन का खेल प्रारंभ हो जायेगा.

Lok Sabha Election 2024 बांका लोकसभा क्षेत्र में 26 अप्रैल को मतदान होना है. चुनाव में महज दो दिन शेष रह गये हैं. इस बीच चुनाव प्रचार ने अंतिम समय में जोर पकड़ लिया है. बांका में जदयू उम्मीदवार गिरिधारी यादव व राजद प्रत्याशी जयप्रकाश नारायण यादव के बीच निर्णायक लड़ाई का मैदान तैयार हो गया है. जयप्रकाश एमवाई समीकरण के साथ होने के दावे करते हैं.

जातिय समीकरण पर भरोसा

हालांकि, दोनों उम्मीदवारों के एक ही समाज से आने की वजह से सेंधमारी से इंकार नहीं किया जा सकता. इसके अलावा जयप्रकाश राजपूत वर्ग का साथ होने का दावा करते हैं. पर, बीजेपी समर्थक अगड़ी जाति का वोट गिरिधारी के साथ भी जाने की संभावना है. जयप्रकाश नारायण यादव के साथ अगड़ी के जाति नेताओं का चुनावी प्रचार शुरू होने के बाद गिरिधारी यादव के पक्ष में भी इस समाज के बड़े लीडरों ने कैंपेन प्रारंभ कर दिया है.

वोटों के इधर-उधर शिफ्ट होने का डर

वहीं जयप्रकाश नारायण यादव के समर्थक दलित मतदाता का वोट अपने पक्ष में बता रहे हैं. हालांकि, इस दावे का दम आनेवाले समय में ही पता चलेगा. गिरिधारी समर्थक बीजेपी के कैडर वोट यानी सवर्ण में ब्राह्मण, भूमिहार, कायस्थ के अतिरिक्त वैश्य का सर्वाधिक मत प्राप्त होने की बात कह रहे हैं. इसमें फूट या वोटों के इधर-उधर शिफ्ट होने की भी संभावना बनी है, जबकि जदयू के कैडर वोट में कुर्मी का वोट एक मुश्त गिरिधारी के पक्ष में जाने के दावे किये जा रहे हैं. कुशवाहा में कुछ टूट के आसार बताये जाते हैं.

सियासी बहस परवाने पर

हालांकि, अंतिम समय में इस समाज का मत बदल भी सकता है. इधर, निर्दलीय प्रत्याशी नरेश कुमार प्रियदर्शी भी मजबूती के साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं. इनका मानना है कि इन्हें सभी समाज का मत मिलेगा. अब देखना होगा कि किसके दावे में कितनी सच्चाई है. दोनों ही दलों के प्रत्याशियों का धुआंधार प्रचार जारी है. प्रचार-प्रसार और चुनावी शह-मात के खेल में विकास के मुद्दे फिलहाल गौण हो गये हैं. चाय दुकानों से लेकर गांव-गांव में चौपाल में सियासी बहस परवान पर है.

चुनाव प्रचार आज होगा समाप्त

लोकसभा चुनाव प्रचार 24 अप्रैल यानी बुधवार शाम पांच बजे थमजायेगा. इसके बाद वोट प्रबंधन का खेल प्रारंभ हो जायेगा. वोट में सेंधमारी और बूथ मैनेजिंग का काम 24 और 25 इन्हीं दो दिनों में किया जायेगा. पैसे के खेल की भी पूरी आशंका रहेगी. देखा जाये तो जातीय गोलबंदी व कैडर वोट पर ही जीत-हार का निर्णय निर्भर करेगा.

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