गुड़ से बनी पारंपरिक चीजों की खूब हो रही है बिक्री. शहर के शिवाजी चौक, शास्त्री चौक, अलीगंज रोड, गांधी चौक सहित प्रमुख जगहों पर बढ़ी चहलकदमी चंदन कुमार, बांका. मकर संक्रांति पर्व नजदीक आते ही जिलेभर के विभिन्न बाजारों में चहलकदमी बढ़ गयी है. दूध- दही, गुड़, तिलकुट व दान-पुण्य की चीजों की खरीदारी जोरों पर है. शहर से लेकर ग्रामीण बाजारों में तिलकुट और गुड़ से बनी पारंपरिक चीजों को सौंधी खुशबू तैर रही है. वहीं शहर के शिवाजी चौक, शास्त्री चौक, अलीगंज रोड, गांधी चौक सहित प्रमुख जगहों पर लाई, तिलकुट, चूड़ा की दर्जनों दुकानें सजी हुई है. जिससे बाजारों की रौनक बढ़ गयी है. सुबह आठ बजे से ही लोग संक्रांति के लिए गुड़ और चूड़ा खरीद रहे हैं. अधिकतर दुकान के सामने आजकल सिर्फ चूड़ा और गुड़ की ही बिक्री हो रही है. काला और सफेद तिल व तिलकुट की बिक्री में भी काफी तेजी आयी है. -तिलकुट निर्माण में दिन-रात जुटे हैं कारीगर. जिलेभर में मंदार ब्रांड, मांकाली ब्रांड आदि नाम के तिलकुट से भरा डब्बा लोगों को मिल रही है. साथ ही मधुमेह रोगियों के लिए शूगर फ्री तिलकुट भी बाजार में उपलब्ध है. शहर के शिवाजी चौक, गांधी चौक, अलीगंज रोड सहित विभिन्न मार्ग के किनारे व मोहल्ला स्थित दुकान में आये दिन तिलकुट की दर्जनों दुकान सजी हुई है. इसके अलावे कुछ दुकान पर दिन-रात कारीगर के द्वारा तिलकुट को तैयार कर पैकिंग किया जा रहा है. मालूम हो कि पहले तिलकुट के लिए गया, पटना व भागलपुर से कारीगर बुलाये जाते थे पर अब सब यहीं उपलब्ध हो जाता हैं. तिलकुट बनाने वाले कारीगर दिन रात निर्माण कार्य में लगे हुए हैं. तिलकुट का कारोबार दिसंबर और जनवरी सहित दो महीने का ही होता है. इन दो महीनों में ही कारोबारी त्योहार की डिमांड पूरी करते हैं. कारोबारियों की मानें तो इस साल पिछले साल की तुलना में अच्छी बिक्री की उम्मीद है क्योंकि मौसम भी साथ दे रहा है. मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य का है विशेष महत्व. मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति का त्यौहार हिंदू धर्म में एक प्रमुख पर्व है, जो हर वर्ष जनवरी में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है. यह पर्व सूर्य देव की उपासना और फसल कटाई के उत्सव के रूप में मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन तिल-गुड़ का सेवन व दान पुण्य करना बहुत शुभ माना जाता है. जो आपसी प्रेम और सौहार्द को भी बढ़ावा देता है. साथ ही इस दिन तिल, चूड़ा, उड़द दाल, चावल, कंबल एवं धन का दान करना बहुत शुभ माना जाता है. यदि आप इन चीजों का दान करते हैं तो घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता बनी रहती है. उधर मकर संक्रांति के दिन से ही बसंत ऋतु का आगाज हो जाता है. जिसकी वजह से इस पर्व का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. मकर संक्रांति का शुभ मुर्हूत. बौंसी गुरुधाम के पंडित गोपाल शरण ने बताया कि इस साल मकर संक्रांति पुण्यकाल प्रातः 09:03 बजे से शाम 05:42 तक है. जिसमें संक्रांति अवधि 08 घंटे 39 मिनट है. साथ ही मकर संक्रांति ब्रह्म मुहूर्त में 14 जनवरी को प्रातः 05:27 बजे से प्रातः 06:21 बजे तक है. मकर संक्रांति अमृत काल: 14 जनवरी को प्रातः 07:55 बजे से 09:29 बजे तक है. जबकि मकर संक्रांति अभिजीत मुहूर्त 14 जनवरी को दोपहर 12:09 बजे से 12:51 बजे तक है. मकर संक्रांति विजय मुहूर्त 14 जनवरी दोपहर 02:15 बजे से 02:57 बजे तक. मकर संक्रांति गोधूलि मुहूर्त 14 जनवरी शाम 05:43 बजे से 06:10 बजे तक. मकर संक्रांति संध्या मुहूर्त 14 जनवरी शाम 05:46 बजे से 07:06 बजे तक. मकर संक्रांति निशिता मुहूर्त 14 जनवरी रात्रि 12:03 बजे से 12:57 बजे तक. आगे उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति स्नान-दान मुहूर्त पुण्य काल में पूरे समय तक चलेगा. इस लिए महापुण्य काल में 14 जनवरी की सुबह 09:03 बजे से प्रातः 10:48 बजे तक स्नान और दान का सबसे शुभ मुहूर्त है. इस समय किसी भी पवित्र नदी में स्नान करते हैं तो पुण्य फलों की प्राप्ति हो सकती है. -बाजार भाव कुछ इस प्रकार. चुड़ा (सामान्य)-38 से 40 रुपये किलो. चुड़ा (कतरनी)-65 से 80 रुपये किलो. गुड़ (सामान्य)- 45 से 50 रुपये किलो. गुड़ (स्पेशल)- 60 से 70 रुपये किलो. तिल- 180 से 200 रुपये किलो. मूढ़ी- 55 से 60 रुपये किलो. तिलकुट (सामान्य)- 180 से 230 रुपये किलो. तिलकुट (स्पेशल)- 250 से 400 रुपये किलो. लाई-80 से 150 रुपये किलो. तिलकतरी-80 से 100 रुपया किलो.
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