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Durga Puja: कहते हैं बिहार के इस मंदिर में साक्षात विराजती हैं भगवती, पहली पूजा से ही लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे…

Durga Puja 2024: बिहार के बांका जिले में है तेलडीहा मंदिर, जो अंगक्षेत्र का बेहद खास और शक्तिपीठ के रूप में माना जाने वाला मंदिर है. जानिए क्यों यहां लाखों की तादाद में श्रद्धालु आ रहे...

Durga Puja 2024: बांका जिले के शंभुगंज प्रखंड क्षेत्र के छत्रहार पंचायत में मां दुर्गा का एक बेहद प्रसिद्ध मंदिर है जिसे तेलडीहा (Teldiha Mandir) या तिलडीहा दुर्गा मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर बांका और मुंगेर जिले के सीमावर्ती इलाके में है. हरिवंशपुर तिलडीहा मंदिर अंगक्षेत्र का बेहद फेमस मंदिर है जहां सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस क्षेत्र के लिए यह आस्था का एक बड़ा केंद्र है. यह मंदिर सिद्ध शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है और ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से अगर यहां (Teldiha Durga Mandir) मन्नत मांगी जाए तो मां किसी को निराश नहीं करती हैं. इस बार दुर्गा पूजा पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है.

तिलडीहा मंदिर में लाखों श्रद्धालु आते हैं, बलि प्रदान है बेहद खास

तिलडीहा शक्तिपीठ के बारे में कहा जाता है कि 1603 ई. में इस मंदिर को स्थापित किया गया था. यहां अष्टमी और नवमीं के दिन पूजा बेहद भव्य तरीके से तो होती ही है पर अन्य दिनों में भी यहां लाखों श्रद्धालु जुटते हैं. मां तिलडीहा के दरबार में बलि प्रदान की जाती है और यहां काफी अधिक तादाद में बलि पड़ती है. हजारों पाठे की बलि यहां नवरात्र में पड़ती है. घंटों लोग कतार में लगकर इंतजार करते हैं. इस मंदिर में एक ही मेढ पर मां काली, कृष्ण और मां भवानी स्थापित हैं. तांत्रिक विधि से यहां पूजा होती है.

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क्या है इस मंदिर की मान्यता…?

तिलडीहा मंदिर के बारे में मान्यता है कि 400 साल पहले बंगाल के एक निवासी हरबल्लभ दास पारिवारिक विवाद के बाद घर-परिवार छोड़कर निकल गए थे. वो एक ऐसे स्थान की खोज में निकले थे जहां नदी और श्मशान घाट हो. इस क्रम में बडुआ नदी के पश्चिम और दक्षिण में उन्हें श्मशान घाट मिला. जिसके बाद नरमुंडों पर उन्होंने तांत्रिक विधि से पूजा की और कृष्ण, काली व मां दुर्गा की स्थापना की. तब से यहां तांत्रिक विधि से पूजा जारी है.

आज भी मिट्टी की है पिंडी…

लोग बताते हैं कि समय के साथ मंदिर का सौंदर्यीकरण तो हुआ लेकिन पिंड में कोई बदलाव नहीं हुआ. मंदिर खपरैल से अब पक्की का हो गया. लेकिन मंदिर के अंदर पिंड आज भी मिट्टी का ही है. मान्यता है कि माता का ही यह आदेश है कि पिंड मिट्टी का ही रहेगा. इसलिए इसे नहीं बदला जाता है. यहां पहली बली बंद मंदिर में दी जाती है. इस मंदिर में मां को लाल चुनरी व डलिया चढ़ाने दूर दराज से भी महिलाएं पहुंचती हैं. जबकि अन्य राज्यों से भी यहां तांत्रिक अष्टमी के दिन आते हैं और तंत्र विद्या सिद्ध करते हैं.

लाखों श्रद्धालु पहली पूजा से उमड़ रहे…

तिलडीहा दुर्गा मंदिर में शारदीय नवरात्र 2024 आरंभ होने के साथ ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. गुरुवार को कलश स्थापना के अवसर पर एक लाख से ज्यादा महिला पुरुष श्रद्धालुओं ने दुर्गा मंदिर में जलाभिषेक किया. इसके पूर्व श्रद्धालुओं ने सुलतानगंज के पवित्र उत्तरवाहिनी गंगा से जल भरकर नया कांवरिया पैदल पथ से होकर जय दुर्गे के जयघोष के साथ 18 किमी पैदल यात्रा कर हरिवंशपुर तिलडीहा दुर्गा मंदिर पहुंचे. श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी थी कि मंदिर को स्पर्श करना कठिन हो गया था. ऐसे में श्रद्धालु परिक्रमा करते हुए दूर से ही जल मां को अभिषेक कर दिया. हैरत की बात तो यह है कि जो श्रद्धालु मंदिर तक नहीं पहुंच पा रहे थे, वो श्रद्धालु मंदिर परिसर के कुएं के सुरक्षा पीलर व बिजली पोल को ही जल चढ़ाकर भीड़ से बाहर निकल रहे थे. श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी थी कि मंदिर से दो किमी दूर से ही सड़क पर जाम लग गया था.

कैसे पहुंच सकते हैं तिलडीहा मंदिर?

तिलडीहा मंदिर मुंगेर और बांका जिले के बॉर्डर इलाके में है. अगर आप सुल्तानगंज की तरफ से आ रहे हैं तो सुल्तानगंज रेलवे स्टेशन पर उतरकर सड़क मार्ग से तारापुर पहुंच सकते हैं और यहां से मंदिर जा सकते हैं. बांका के शंभूगंज से भी इस मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है.

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