बेगूसराय. राज्य संघ के आह्वान पर बिहार राज्य आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ, बेगूसराय द्वारा अपनी 13 सूत्री मांगों को लेकर सैकड़ों आशा कर्मी कर्मचारी भवन से चलकर शहर में जुलूस निकाला एवं प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी बैनर झंडा के साथ अपनी मांगों के समर्थन में एवं सरकार के विरोध में नारा लगा रहे थे. प्रदर्शन कार्यक्रम का नेतृत्व आशा संघ सहित संघ महासंघ के नेतागण कर रहे थे. सिविल सर्जन के समक्ष प्रदर्शन करते हुए सरकार के खिलाफ़ अपने गुस्से का इजहार किया जो सभा में तब्दील हो गई. प्रदर्शन सभा की अध्यक्षता संघ के संयोजक शंकर मोची एवं उपाध्यक्ष बबीता भारती एवं सुनीता कुमारी ने किया.
राज्य की राज्य के लाखों आशा के साथ नाइंसाफी कर रही सरकार : शशिकांत राय
प्रदर्शन सभा को संबोधित करते हुए अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के राज्य के सम्मानित अध्यक्ष सह एआइएसजीइएफ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शशिकांत राय ने कहा कि बिहार सरकार एक तरफ महिला सशक्तिकरण की बात करता है तो दूसरी तरफ राज्य के लाखों आशा कर्मी के साथ नाइंसाफी कर रही है. सरकार द्वारा 2023 में हडताल के दौरान किए गए एक भी समझौते को लागू नहीं किया गया. वर्तमान में न्यून योग्यता पर बहाल आशा कर्मी से आयुष्मान कार्ड, आभा कार्ड, पारिवारिक सर्वेक्षण कार्य में लॉगिन जैसे टेक्निकल कार्य करने हेतु तुगलकी फ़रसान जारी किया है. अत्यधिक कार्य बोझ देकर दमनात्मक कार्रवाई की जा रही है, जो सरासर अन्याय है. इन्होंने इस तरह के आदेश को वापस लेने , हडताल के दौरान हुए समझौते को लागू करने,स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों में ठेका, संविदा, आउट सोर्सिंग, दैनिक पुस्त कर्मी की सेवा नियमित करने सहित अन्य मांगों को पूरा करने की मांग की. अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिला मंत्री मोहन मुरारी, संघ के संयोजक शंकर मोची, ने सरकार के इस तरह के फ़रसान का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत आशा एवं आशा फैसिलिटेटर टीकाकरण ,प्रसव,जच्चा बच्चा सुरक्षा कार्यक्रम सहित सरकारी निदेशानुसार अनेकों कार्य पूरी निष्ठा एवं लगन से करती हैं, कोरोना काल में भी अपनी जान की बाजी लगाकर, घर परिवार की चिंता किये बिना लगातार कार्य की है लेकिन इन्हें उचित पारिश्रमिक नहीं दिया जा रहा है,
इन मांगों को लेकर किया आंदोलन
उन्होंने सरकार से आशा कर्मी के विभिन्न मांगो का समर्थन करते हुए 2023 के हड़ताल के दौरान किए गए समझौते के आलोक पारितोषिक के बदले 2500 प्रति माह मानदेय देने,प्रखंडों में दोहन शोषण पर रोक लगाने, फैसिलिटेटर के साथ हुए समझौते को लागू करने एवं इस तरह के फरमान को रद्द करने, सहित विभिन्न मांगों को अविलंब पूरा करने की मांग की. उन्होंने कहा कि आठवीं पास आशा को आयुष्मान कार्ड, आभा कार्ड, एवं अन्य तरह का तकनीकी कार्य करवाना सरकार का दमनात्मक रवैया है इस पर अविलंब रोक लगाई जाए वर्ना आंदोलन को तेज करते हुए आशा कर्मी हडताल पर जाने को विवश होगे. आशा संघ की नेत्री सुनीता कुमारी, बबीता भारती ने सरकार के उक्त मनमाने आदेश का विरोध करते हुए उसे निरस्त करने, कोरोना भत्ता 10,000 देने, फैसिलिटेटर को भ्रमण भत्ता 20 दिन के बदले 30 दिन ₹500 की दर से भुगतान करने,आशा कर्मी को ग्रूप बीमा में शामिल करते हुए राज्य सरकार की ओर से चार लाख एवं केंद्र सरकार की ओर से 50लाख देने,सेवानिवृत्ति के समय 10 लाख एवं सामाजिक सुरक्षा पेंशन देने, स्मार्ट कार्ड मुहैया कराने ,सभी पीएससी अन्य जगहों पर आशा को बैठने, पानी, शौचालय की व्यवस्था सहित अन्य समस्याओं की मांग की. प्रदर्शन सभा को महासंघ के सहायक जिला मंत्री अनिल कुमार गुप्ता,राज्य महासंघ के उपाध्यक्ष जितेंद्र राय,चिकित्सा संघ के नेता कल्याणी, बबीता, सोनम, आशा संघ के नेत्री सीमा कुमारी , रेणु ,नीलू, पूनम, आभा, पार्वती, ललिता, विनीता, सुनीता गुप्ता, हिना कुमारी, शिल्पी, इंदु, उषा, चंद्ररेखा, विभा, सीता, अनीता, जैनव खातून, तबस्सुम परवीन,रेखा, बेबी एवं विभिन्न प्रखंड से आए हुए दर्ज़नों कर्मियों ने किया. संघ के शिष्टमंडल द्वारा मांगों से संबंधित संलेख सिविल सर्जन को सौंपा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है