बेगूसराय. कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण आत्मा बेगूसराय द्वारा जिला में जूट उत्पादन की संभावना पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का उद्घाटन जिला कृषि पदाधिकारी बेगूसराय द्वारा किया गया. कार्यशाला में तकनीकी सहयोग में जूट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के रंजन मुर्मू, क्षेत्रीय प्रबंधक प्रभारी (जूट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया) फारबिसगंज अंशुमन बनर्जी, सहायक प्रबंधक परिचालन, जूट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया फारबिसगंज के अजीत कुमार मंडल, प्रखंड पर्यवेक्षक, फारबिसगंज जूट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया कुमार केतन, प्रखंड पर्यवेक्षक फारबिसगंज संजीत कुमार, मास्टर ट्रेनर, प्रखंड पर्यवेक्षक, फारबिसगंज, जूट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा जानकारी दी गयी.उक्त कार्यशाला में जिले के बछवाड़ा, तेघड़ा, बरौनी, बीरपुर, साम्हो, मटिहानी, बीरपुर, बेगूसराय, बलिया, साहेबपुरकमाल एवं साम्हो से 04-04 किसानों सहित प्रखंड तकनीकी प्रबंधक एवं सहायक तकनीकी प्रबंधक को शामिल किया गया. जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि जूट एक नकदी फसल है.यहां के किसान रबी और खरीफ फसल के बीच जूट का खेती (100-120 दिन का) कर एक अच्छा आय प्राप्त कर सकते हैं. भारतीय पाट निगम के द्वारा जूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए इस स्तर पर सहयोग का प्रावधान है. बीज के साथ ही अन्य यंत्र क्रय का प्रावधान है एवं उत्पादन होने भारतीय पाट निगम द्वारा एमएसपी पर क्रय किया जाएगा. जिला में एक दशक पूर्व जूट की खेती की जाती थी. किसान खरीफ मौसम में इसकी खेती किया करते थे. खासकर गंगा नदी के किनारे वाला प्रखंड तथा जिस क्षेत्र में कम अवधि तक जल जमाव की समस्या रहा करती थी. निचली भूमि एवं खासकर गंगा नदी के किनारे वाली भूमि जहां पानी या बाढ़ की चपेट में रहता था. वहां के किसान जूट की खेती किया करते थे. बेगूसराय जिला का मिट्टी एवं जलवायु जूट की खेती के लिए अनुकुल है. खासकर गंगा नदी के किनारे वाला खेत जो कि हर साल बाढ़ की चपेट में आ जाता है. इस जगह के किसानों का खरीफ गवका अथवा चारा फसल बाढ के कारण नुकसान हो जाया करता है इन खेत में आसानी पूर्वक किसान जूट का उत्पादन कर अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं.यह एक नगदी फसल है. भारतीय जूट निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक द्वारा बताया गया कि इनके स्तर से किसानों को अधिक उपज बाली किस्म का प्रमाणित बीज 50 प्रतिशत के अनुदान पर दी जाएगी. साथ में जूट की बुआई करने हेतु सीड ड्रील मशीन एवं निकौनी के लिए साइकल उपलब्धता करायी जाएगी. बेगूसराय जिला में ही जूट का भंडारण हेतु गोदाम की व्यवस्था की जाएगी, जिससे किसानों के उत्पाद की सीधी खरीदारी की जा सकेगी. वर्तमान समय में जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य ग्रेड ए 6035/क्विंटल, ग्रेड बी 5835रुपये, ग्रेड सी 5335 रुपये, ग्रेड डी 4785 रुपये एवं निम्न गुणवत्ता 4535 रुपये प्रति क्विंटल है. एक एकड़ जूट की खेती में कुल 10-12 क्विी पाट (सोन) का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. पानी में जूट की फसल में जल्दी सड़न की प्रक्रिया हेतु क्रिजाफ सोना पाउडर की भी निःशुल्क उपलब्धता करायी जाएगी. जिसमें 10 दिन पहले ही सड़न की प्रक्रिया पूर्ण हो जाएगी तथा बेहतर गुणवत्ता का फाइबर भी प्राप्त किया जा सकता है. आत्मा के उपपरियोजना निदेशक अजीत कुमार द्वारा बताया गया कि 20-25 किसानों का समूह बनाकर जूट उत्पादन का कार्य फिलहाल 10 प्रखंडों में प्रारंभ किया जाएगा तथा बछवाड़ा से लेकर साहेबपुर कमाल तक गुप्ता लखमिनियां बांध के किनारे के किसानों को शामिल किया जाएगा, चूंकि इनलोगों का गंगा नदी में बाढ के किनारे का खरीफ फसल बाद में आने के कारण प्रभावित हो जाता है. बाढ़ का पानी 10-15 दिन तक पानी लगे रहने की स्थिति में भी जूट के फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हो पाता है. इस अवधि में किसानों के लिए यह एक अतिरिक्त फसल के रूप में प्राप्त हो जाएगा, जिससें किसानों के आमदनी में वृद्धि होगी. वहीं जूट उत्पादन उपरांत इसका वेल्यू एडिशन में स्थानीय स्तर पर स्व रोजगार का सृजन भी किया जा सकेगा.आज के समय में जूट से निर्मित वस्त्र एवं उत्पाद का बाजार में काफी मांग है.
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