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Sharda Sinha Death: हर घर में बजते हैं शारदा सिन्हा के गीत, देश से विदेश तक छायी रहेंगी बेगूसराय की बहू

Sharda Sinha Death: बिहार की स्‍वर कोकिला और छठ गीत की पर्याय शारदा सिन्‍हा मंगलवार की देर शाम 72 साल की आयु में दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली. उन्होंने महापर्व के पहले दिन इस दुनिया को अलविदा कह दिया. लेकिन छठ पूजा के दौरान देश से विदेश तक बेगूसराय की बहू शारदा सिन्हा की गीत छायी रहेंगी.

Sharda Sinha Death
विपिन कुमार मिश्र

बेगूसराय. लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत पांच नवंबर से नहाय-खाय के साथ हो गयी है. सूर्य की उपासना के इस महापर्व को लेकर तैयारी पूरी कर ली गयी है. गांव से लेकर शहर तक की गलियों में छठ पूजा के गीत बजने लगे हैं. सुबह और शाम मंदिरों में भजन-आरती के साथ छठ के गीत बज रहे हैं. सबसे बड़ी बात है कि जब छठ के गीत बजाने की बात आती है तो लोगों को सबसे पहले नाम याद आता है पद्मश्री शारदा सिन्हा का. बेगूसराय जिले के मटिहानी थाना अंर्तगत सिहमा गांव की बहू शारदा सिन्हा द्वारा गाये गये छठ गीत छठ का पर्याय बन चुके हैं और बिहार, भारत ही नहीं विदेशों में भी उसकी धूम मच रही है. आज भले ही दर्जनों गायक छठ गीत तैयार कर रहे हैं. लेकिन उसके भाव और मूल में बेगूसराय की बहू द्वारा गाये गये छठ गीत ही हैं.

शारदा सिन्हा के गीत को सुन भाव विभोर होते हैं लोग

2001 में संगीत नाटक अकादमी अवार्ड और 2018 में पद्म सम्मान से सम्मानित बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के गीत जहां कहीं भी छठ होता है. वहां पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ गाए जाते हैं. चाहे वह भारत का कोई हिस्सा हो या विदेशों का, सब जगह उनके गीत केलवा के पात पर उगलन सुरुज देव, मारबउ रे सुगवा धनुष से, आठ ही काठ के कोठरिया हो दीनानाथ आदि जरूर धूम मचाती है.

1978 में शारदा सिन्हा ने पहली बार उगो हो सूरज देव भइल अरघ केर बेर छठ गीत रिकॉर्ड किया

जब छठ के समय गीतों का इतना प्रचलन नहीं था, सिर्फ विंध्यवासिनी देवी एक-दो गीत सुनने को मिलते थे, तो 1978 में शारदा सिन्हा ने पहली बार उगो हो सूरज देव भइल अरघ केर बेर छठ गीत रिकॉर्ड किया था. एचएमवी कंपनी का वह कैसेट इतना छा गया कि खुद कंपनी वाले लगातार गीत रिकॉर्ड करने का अनुरोध करने लगे. जिसके बाद शारदा सिन्हा द्वारा गाए गए 75 से अधिक छठ गीत शारदा सिन्हा और छठ के पर्याय बन चुके हैं.

कार्तिक माह आते ही धूम मचापे लगता है शारदा सिन्हा का गाना

कार्तिक माह आते ही जब गांव में छठ गीत बजना शुरू होता है तो सबसे पहले शारदा सिन्हा का गाना धूम मचाता है और लोग मंत्रमुग्ध होकर सुनते हैं. जैसे ही शारदा सिन्हा की स्थिर आवाज गीत के रूप में सुनाई पड़ती है. छठ का एहसास जिंदा हो जाता है. लगता है कि दुनिया में जबतक छठ मनाया जाता रहेगा, शारदा सिन्हा गाती रहेगी. काल की सीमा से परे अप्रतिम आवाज में ना केवल शारदा सिन्हा द्वारा गाए केवल पुराने गीत लगातार बज रहे हैं, बल्कि समय-समय पर वह नया गीत गाती रहती है. लोक गायिका शारदा सिन्हा के गीत में ना केवल छठ की शुचिता, बिहार की सभ्यता और मर्यादा दिखाई पड़ती है बल्कि गीत के माध्यम से व्रती महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए शालीनता और आस्था के साथ यह पर्व करती हैं.

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छठ पूजा कर रही हजारों महिलाएं शारदा सिन्हा के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए कर रहे हैं ईश्वर से कामना

बेगूसराय जिले की बहू चर्चित लोक गायिका शारदा सिन्हा की तबियत गंभीर बने रहने को लेकर जिलावासी काफी चिंतित हैं. छठ पूजा कर रही हजारों की संख्या में छठव्रर्ती उनके स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए छठ मइया से कामना कर रहे हैं कि वे जल्द स्वस्थ्य हो जाएं. ज्ञात हो कि वर्ष 1970 में शारदा सिन्हा की शादी जिले के सिहमा निवासी ब्रजकिशोर सिन्हा से हुई थी. बेगूसराय से उनका बड़ा ही गहरा लगाव था. सिहमा पंचायत के पूर्व मुखिया संजीव कुमार सिंह बताते हैं कि शारदा सिन्हा रिश्ते में मेरी चाची लगती है. दस वर्ष पूर्व छठ के समय में भी सिहमा आयी थी. जहां परिवार के सदस्यों के साथ-साथ अन्य लोगों से भी मिली थी.

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