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माहवारी स्वच्छता पर जागरूक कर रहे विकास, 625 जगहों पर लगायी सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन

बेगूसराय के सदर प्रखंड स्थित खम्हार निवासी युवा विकास रंजन ने जापान में रहते हुए समाज के लिए अलख जगाने का काम किया है.

बेगूसराय. व्यक्ति कहीं भी रहे अगर अपने समाज के लिए कुछ सकारात्मक करने की तमन्ना होती है तो उसे पूरा करने में कोई भी बाधाएं सामने नहीं आती है. जरूरत है जुनून के साथ किसी भी कार्य को धरातल पर उतारने की. कुछ इसी तरह की सोच को रखने वाले बेगूसराय के सदर प्रखंड स्थित खम्हार निवासी युवा विकास रंजन ने जापान में रहते हुए समाज के लिए अलख जगाने का काम किया है. विकास रंजन जो पिछले 10 वर्षों से जापान में रह रहा है, विकास कहता है कि दिल से बिहारी ही हूं. हमेशा अपने देश राज्य,समाज के लिए कुछ करने की इच्छा थी. इसीलिए अपने कुछ नेतरहाट विद्यालय के पूर्ववर्ती छात्रों ने समाज में कुछ बेहतर करने का संकल्प लिया. चूंकि हमारे विद्यालय के मूल मंत्र अत्तदीपा विहरथ के अनुकूल हमने कोशिश की है कि माहवारी के बारे में अधिक-से-अधिक लोगों से बातचीत करके उन्हें जागरूक बना सके. जरूरतमंद महिलाओं के लिए सैनिटरी पैड की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकें और उसके अपशिष्ट का भली-भांति निस्तारण भी करवा सकें. विकास रंजन बताते हैं कि हम ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों और ग्राम सभा या ग्राम पंचायत कार्यालयों में माहवारी किट संगिनी (सैनिटरी पैड डिस्पेंसर, इंसीनेटर, सैनिटरी पैड आदि) की उपलब्ध्ता सुनिश्चित करने का प्रयास किया है. जहां महिलाएं आसानी से पहुंच सकती हों. इसके अतिरिक्त हम माहवारी से जुड़ी भ्रांतियों एवं रुढ़ियों को खत्म करने के लिए महिलाओं एवं लड़कियों के साथ कार्यशालाएं भी आयोजित करते हैं. युवा विकास रंजन ने बताया कि अब तक हमने बिहार और झारखंड के कुल 625 स्थानों पर सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन तथा इन्सिनेरेटर इंस्टॉल करवा चुके हैं. जिनके जरिये सालाना करीब 18 करोड़ सेनेटरी पैड्स का वितरण मात्र 2 रुपये प्रति पैड्स दर से होता है और करीब 1,50,000 महिलाएं एवं लड़कियां को इससे लाभान्वित हो रही हैं. उल्लेखनीय है कि इन निरंतर प्रयासों से बीते एक दशक में लड़कियों की अनुपस्थिति दर में 35% की कमी आयी है, ड्रॉप-आउट दर 10% तक कम हुआ है और उनके शैक्षिक निष्पादन में भी 10% की बढ़ोतरी हुई है. विकास रंजन बताते हैं कि आगे हमारा लक्ष्य इस साल के अंत तक कुल 1000 स्कूलों को कवर करने का है. वर्तमान में बिहार-झारखंड के अलावा हम कोलकाता, बेंगलुरु, तेलंगाना, महाराष्ट्र के कुछ सुदूर इलाकों में भी काम कर रहे हैं. बेगूसराय जिले के होने के नाते विकास रंजन का कहना है कि बेगूसराय की धरती साहित्यिक व सांस्कृतिक सोच की धरती है. यहां की मेधा देश व विदेश में भी जिले का परचम लहरा रही है. हम जैसे अन्य युवा जो इस धरती से जुडे हुए हैं उनकी एक ही सोच है कि हम अपनी मातृभूमि के लिए कुछ करें. भले ही हम जापान में परिवार के साथ रह रहे हैं लेकिन हमेशा कुछ बेहतर करने की सोच अपने इलाके के लिए रहती है. विकास रंजन का कहना है कि आने वाले समय में बालिका शिक्षा को बेहतर बनाने और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कई सकारात्मक कदम उठाये जायेंगे. जिसके लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है.

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