मिथिलेश ,पटना. बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नयी भर्ती प्रक्रिया के अमल में आने से स्कूली शिक्षा में न केवल व्यापक सुधार होगा, बल्कि स्कूल प्रबंधन के मामले में भी इसका व्यापक असर दिखेगा. शिक्षकों की नियुक्ति आयोग द्वारा लिखित परीक्षा के आधार पर कराये जाने संबंधी राज्य सरकार के ताजा फैसले से सरकारी स्कूलों के बेहतर होने की एक बार फिर से आस जगी है.
सरकार ने स्कूली शिक्षा में व्यापक बदलाव के उद्देश्य से प्रतियोगिता परीक्षा के माध्यम से शिक्षकों की भर्ती करने का दूरगामी प्रभाव वाला फैसला लिया है. सरकारी स्कूलों में करीब तीन लाख नियुक्तियां होनी हैं. बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा ली जाने वाली प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होने वाले आवेदकों को नियुक्त किये जाने से सरकारी स्कूलों में प्रतिभावान शिक्षक बहाल होंगे.
पूर्व के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की विद्वता और उनकी पढ़ाने की शैली के सभी कायल थे. सरकार के इस फैसले से सरकारी स्कूलों के प्रति अभिभावकों की उम्मीदें जगेंगी. साथ ही मेघावी छात्रों को भी इसका लाभ मिल सकेगा. इतना ही नहीं मौजूदा दौर में शिक्षकों की गुणवत्ता पर उठ रहे सवालों का भी समाधान होगा. आयोग की परीक्षा पास कर स्कूलों में पढ़ाने आये शिक्षकों के कारण छात्रों के शैक्षणिक योग्यता में भी सुधार आयेगा. इसके साथ ही स्कूलों में शैक्षणिक माहौल भी सुधरेगा. बिहार लोक सेवा आयोग जैसे नियुक्ति आयोग से होने वाली शिक्षक भर्ती की यह नयी प्रक्रिया काफी पारदर्शी होगी.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिये गये फैसले में नियुक्ति के लिए तीन अवसर दिये जाने की बात कही गयी है. न सिर्फ शिक्षक, बल्कि लुंज पुंज चल रहे स्कूलों में नन टीचिंग कार्य में भी स्फूर्ति आयेगी. स्कूलों में लैब टेक्नीशियन और किरानी के करीब पचास हजार पद खाली हैं. इन सब पदों पर भी प्रतियोगिता के आधार पर ही भर्ती होने से कामकाज भी पारदर्शी हो सकेगा.
अभी कई जगहों से शिक्षकों की योग्यता आदि को लेकर आये दिन खबरें सोशल मीडिया में सुर्खियों में रहती है. नयी प्रक्रिया से बहाल होकर आने वाले शिक्षकों की मेरिट खुल कर सामने आयेगी. इससे शिक्षकों के भीतर भी आत्मबल पैदा होगा और सरकारी सुविधाओं के मिलने से उनकी दूसरी समस्याओं का भी समाधान हो सकेगा.