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Ambedkar Birth Anniversary: स्टार्टअप से रामचंद्र राउत खुद बने उद्यमी, बेटा है फैशन डिजाइनर

Ambedkar Birth Anniversary: बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जिस भारत की कल्पना की थी उसमें सभी जाति वर्गों के लिए काम करने का समान अवसर का सपना था. आज रामचंद्र राउत जैसे कई दलित समाज से आनेवाले लोग हैं जो बाबा साहेब के सपनों को पूरा कर रहे हैं.

Ambedkar Birth Anniversary: गणेश, बेतिया: आज से करीब आठ दशक पहले बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने जिस समरस समाज की नींव रखी थी, वह यकीनन आज फलीभूत होती नजर आती है. जिले के बैरिया प्रखंड के पोखरिया पखनाहा निवासी रामचंद्र राउत इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं. गरीब किसान परिवार से आने के बाद भी रामचंद्र राउत ने न सिर्फ पढ़ लिखकर अपना भविष्य संवारा, बल्कि आज वे स्टार्टअप जोन चनपटिया के सफल उद्यमी के रूप में भी जाने जाते हैं.

चनपटिया स्टार्टअप जोन में है कारोबार

बैंक की नौकरी से रिटायर्ड रामचंद्र राउत रेडिमेड कपड़ों का उद्यम चलाते हैं. अंगा एप्रेल प्राइवेट लिमिटेड नाम से इनकी कंपनी चनपटिया स्टार्टअप जोन में चल रही है. रामचंद्र राउत कहते हैं कि पहले और आज के समय में बहुत अंतर हो गया है. आज सभी को काम करने का समान अवसर मिल रहा हैं. रामचंद्र राउत खुद बाबा साहेब को अपना आदर्श मानते हैं. वे कहते हैं कि बाबा साहेब ने जो संविधान हम सबको दिया, उसी के चलते आज हम यहां तक पहुंच सके हैं. रामचंद्र राउत का कहना है कि उनके पिता लखनराज गरीब किसान थे. बावजूद इसके उन्होंने पढ़ाई की और बैंक की नौकरी प्राप्त की. अब बैंक से रिटायर्ड होने के बाद वे करीब डेढ़ साल से चनपटिया स्टार्टअप जोन में अपनी कंपनी चला रहे हैं. यहां रेडिमेड शर्ट, टी-शर्ट, कुर्ती, लेगिंस इत्यादि का प्रोडक्शन होता है.चनपटिया स्टार्टअप जोन में कुल 54 उद्यमी हैं, उनमें से रामचंद्र राउत अकेले हैं, जो दलित वर्ग से आते हैं.

फैशन डिजाइनर है बेटा किशलय

रामचंद्र राउत अपने बेटे को बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया है. उन्होंने बताया कि उनका बेटा किशलय चंद्र राउत ने पटना निफ्ट से पढ़ाई की है. वह अभी फैशन डिजाइनर है. बेटे के कहने पर ही उन्होंने इस कारोबार के क्षेत्र में आये हैं. राउत ने बताया कि उन्हें कुमारबाग इंडस्ट्रियल एरिया में भी जगह अलॉट हो गया है. वहां भी कंपनी की एक यूनिट स्थापित करने की तैयारी चल रही हैं. उसको लेकर कागजी प्रक्रिया पूरी की जा रही है.

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17 परिवारों की चल रही आजीविका

रामचंद्र राउत बताते हैं कि अभी उनके यहां 17 कर्मचारी कार्यरत हैं. कुमारबाग की यूनिट शुरू हो जाने पर 100 से अधिक कर्मचारियों की जरूरत होगी. वे मानते हैं कि उनकी तरक्की में सभी वर्गों का हित है. सभी वर्ग के लोगों को रोजगार के समान अवसर मिल रहे हैं, जिसका सपना कभी बाबा साहेब देखा करते थे.

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