हरनाटांड़. अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर बाघों के संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के लिए वाल्मीकि व्याघ्र आरक्ष के वन प्रक्षेत्रों में 25 जुलाई से 29 जुलाई तक विश्व बाघ दिवस मनाया जा रहा है. ग्लोबल टाइगर डे के रूप में मनाए जाने वाले इस कार्यक्रम में वन विभाग द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इसी क्रम में सोमवार को वन प्रमंडल दो के मदनपुर, हरनाटांड़ व चिउटाहा वन प्रक्षेत्र में विश्व बाघ दिवस मनाया गया. जिसमें पेंटिंग व निबंध प्रतियोगिता कराया गया. वही मदनपुर वन प्रक्षेत्र के गेस्ट हाउस परिसर में वनपाल रंजीत कुमार के नेतृत्व में इको विकास समिति के अध्यक्ष, छात्र-छात्राओं व वन कर्मियों के साथ विश्व बाघ दिवस मनाया गया. इस दौरान स्कूली छात्रों के बीच मैराथन दौड़, पेंटिंग, निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. जिसमें प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं को पुरस्कृत भी किया गया. इस संदर्भ में वनपाल रंजीत कुमार ने बताया कि वरीय अधिकारी के दिशा निर्देश पर वन क्षेत्र में विश्व बाघ दिवस मनाया गया. वही विश्व बाघ दिवस को लेकर छात्रों, वनकर्मी व अन्य लोगों को भी बाघों के संरक्षण व सुरक्षा के लिए जागरूक किया गया. उन्होंने बताया कि बाघों की सुरक्षा हमारे पर्यावरण की सुरक्षा में अहम और मुख्य किरदार निभाता है. बाघों के संरक्षण और विकास के लिए जागरूकता जरूरी है. मौके पर वनरक्षी गौरीशंकर दुबे, जगदंबा यादव, दुर्गेश कुमार, राहुल कुमार, रूपेश कुमार, पिंटू पाल, गोबरहिया के ईडीसी अध्यक्ष हरेंद्र दास उर्फ लालका बाबा, सह सचिव हरेंद्र चौधरी, पटेसरा के ईडीसी अध्यक्ष राजन यादव, मदनपुर के अध्यक्ष दुर्गा प्रसाद, वनकर्मी मुकेश कुमार, सुरेश यादव, श्रीकिशुन यादव, धर्मेंद्र कुमार, अवधेश कुमार, दूधनाथ राम, मनोज राम आदि उपस्थित रहे. विश्व बाघ दिवस पर निकाली गई प्रभात फेरी, बाघ से होने वाले लाभ व सुरक्षा के बारे में सुझाव दिया गया रामनगर.विश्व बाघ दिवस के मौके पर डुमरी स्थित रघिया वन कार्यालय द्वारा सुबह में स्कूली बच्चों द्वारा प्रभात फेरी निकाली गई. जिसमें दर्जनों की संख्या में वन पदाधिकारी और वनकर्मी शामिल रहे. सबने तख्ती पर स्लोगन पोस्टर लगाकर लोगों को जागरूक किया. सबको बाघ की सुरक्षा के प्रति जवाबदेही दी गई. वनवर्ती इलाके के लोगों को बाघ से होने वाले लाभ और उनकी सुरक्षा के बारे में सुझाव दिया गया. उनको जागरूक किया गया कि बाघ की कम संख्या बची है. उसे बचाने से हमारे देश की शान निहित है. इस दौरान वनकर्मी डुमरी चेक पोस्ट से डमरापूर से वापस आकर रेंज कार्यालय को पहुंचे. इस क्रम में मैराथन दौड़ व चेयर रेस का आयोजन किया गया. जिसमें उपस्थित वनपाल, वनरक्षी, वनकर्मी, गोवर्धना थाना के पदाधिकारी और बल स्कूल के शिक्षक व बच्चे उपस्थित रहे. बच्चों में प्राइज वितरण किया गया. प्रभारी रेंजर उत्तम कुमार ने बताया कि वनवर्ती इलाके के लोगों को जागरूक किया गया. उनको तरह- तरह के स्लोगन द्वारा बाघ के महत्व बताए गए. वन क्षेत्रों में शावकों संग 60 के करीब बाघों के आंकड़े पहुंचने की आशा हरनाटांड़. बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वन क्षेत्रों की जंगल में शावकों संग बाघों की संख्या बढ़ना अनुकूल और बेहतर माहौल को प्रदर्शित कर रहा है. वीटीआर के सदाबहार जंगल, पहाड़ी झील, बेहतर मैनेजमेंट, रखरखाव व ग्रासलैंड के साथ शाकाहारी जानवरों के बढ़ने से यह संभव से हो रहा है. जिससे बाघों को आसानी से भोजन व पानी उपलब्ध हो रहा है. प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 की गणना में वीटीआर में नर व मादा बाघों की संख्या 54 है और शावकों की संख्या भी करीब 6 से 10 है. वाल्मीकिनगर, मंगुराहा व गोबर्धना के वन क्षेत्र में आधा दर्जन के करीब नये शावकों की अठखेलियां कैमरे में कैद हुई. वन क्षेत्रों में शावकों संग बाघों की संख्या 60 से अधिक पहुंचने की आशा है. इधर एक वर्षों में वीटीआर के वन क्षेत्रों में आधा दर्जन नये मेहमानों का भी आना हुआ है. बाघों से इस इलाके का ऐतिहासिक और पौराणिक खास लगाव है. लिहाजा इन्हीं बाघों के चलते बगहा नाम पड़ा. वही वीटीआर के वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक डॉ. नेशामणि के अनुसार वीटीआर में बाघों की संख्या में वृद्धि के लिए जंगल व घास के मैदान और शाकाहारी वन्यजीवों को बढ़ोतरी से बाघों की पर्याप्त भोजन मिल रही है. जिससे बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही. यह वीटीआर के लिए शुभ संकेत है.
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