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बाघ ने सात और बकरियों को मारकर खाया, ग्रामीणों में खौफ

मानपुर थाने के पुरैनिया गांव से उत्तर ईख के खेत से निकले बाघ ने सात बकरियों को मार कर खा लिया है.

मैनाटांड़ (पचं). मानपुर थाने के पुरैनिया गांव से उत्तर ईख के खेत से निकले बाघ ने सात बकरियों को मार कर खा लिया है. पुरैनिया से लेकर जंगल तक के रास्ते में सात बकरियों के शव जीर्ण-शीर्ण अवस्था पाये गये हैं. मंगुराहा वन रेंज के प्रभारी रेंजर सुजीत कुमार ने बाघ के आठ बकरियों के मारकर खाने की बात स्वीकार की है. एक बकरी गुरुवार को सुबह और सात अन्य बकरियों के शुक्रवार को सुबह तक बाघ के द्वारा मार दिये जाना का मामला वन विभाग की जांच में मिला है. रेंजर ने बताया कि विभागीय प्रकिया के तहत पशुपालकों को मुआवजा दिया जायेगा.

उधर आठ बकरियों काे मारकर खा जाने से पशुपालकों में काफी भय है. मानपुर थाने के चक्रसन, पुरैनिया, मानपुर, लौकर गम्हरिया आदि गांवों के ग्रामीणों में बाघ को लेकर काफी डर समाया हुआ है. रेंजर ने बाघ को जंगल में वापस लौटने की बात कही है, फिर भी उन्होंने लोगों को अलर्ट रहने का अनुरोध किया है.

मानपुर थानाध्यक्ष अजय कुमार चौधरी ने बताया कि बाघ को लेकर थाना क्षेत्र में पुलिस काफी सजग है. उन्होंने बताया कि मानपुर थाना क्षेत्र का ज्यादातर एरिया जंगल से सटा है. ऐसे में चौकीदारों को गांव में विशेष सजग करने का निर्देश दिया गया है. चौकीदारों को ताकिद किया है कि आप सभी अपने-अपने क्षेत्र में लोगों को जाकर बाघ के बचाव के बारे में समझायें. कोई भी आदमी शाम या रात में खेतों की तरफ नहीं जायें. रात में अनावश्यक गांव में नहीं निकले. पुलिस प्रशासन वन विभाग से समन्वय कर जंगली जानवरों की सुरक्षा के साथ-साथ आम जनता की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. उल्लेखनीय है कि मानपुर के पुरैनिया गांव से उत्तर वन रेंज से सटे गन्ना के खेत से गुरुवार को निकले बाघ ने एक बकरी का शिकार किया था. ग्रामीणों का कहना था कि अन्य आठ बकरियों को बाघ मारकर छुपा रखा है, जो सही साबित हुआ.

बन बैरिया में दहशत का माहौल, खेत खलिहान जाना भी हो गया दुश्वार

गौनाहा (पचं). जंगली जानवरों के आतंक से जंगल के रिहाइशी इलाके में बसे लोगों का जीवन हमेशा से असुरक्षित तो है ही, इस बीच इंद्रदेव महतो पर बाघ के हमले में मौत की घटना के बाद से लोगों में खौफ पैदा हो गया है. ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग इस स्थिति को गंभीरता से ले नहीं रहा है. ऐसे में उन लोगों की सुकून से जिंदगी जीना दुश्वार हो गया है.

बताया गया है कि शुक्रवार की सुबह के आठ बजे बन बैरिया गांव निवासी रामप्रीत महतो गांव से दक्षिण दिशा में अपने खेत में पंप सेट लगाने गए थे, तो वहां उन्होंने देखा कि बोरिंग के इर्द-गिर्द में बाघ के अनगिनत पैरों के निशान हैं. यह देखकर रामप्रीत महतो खेत में पंप सेट लगाए बगैर भाग कर घर चले आए. बन बैरिया सहित धमौरा, खैरटिया, भटनी सुपौली, एक्वा, परसौनी सूरजपुर, लक्ष्मीपुर मानपुर इत्यादि गांवों में स्थिति यह उत्पन्न हो गयी है कि लोग घर से बाहर निकलने में अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. गाय-भैंस चराने पशुओं के लिए चारा घास काटने धान की कटाई करने लोग झुंड में जा रहे हैं. पूरे रात लोग रात जगा कर रहे हैं. उस इलाके में सुबह की मॉर्निंग वाक बंद हो गया है.

इसके पहले चार बजे सुबह से ही सैनिक रोड पर जवान, बूढ़े, बच्चे महिलाएं काफी संख्या में टहलते हुए नजर आते थे, लेकिन आज इस घटना के बाद से उन सड़कों पर सन्नाटा छा गया है. जहां काफी सुबह से ही चहल कदमी शुरू हो जाती थी, बच्चे स्कूल जाने में घबरा रहे हैं और बच्चे जब तक स्कूल से घर वापस नहीं लौट जाते हैं, तब तक मां-बाप अपने आप को काफी असहज महसूस करते रहते हैं. सुबह में अब कोई व्यक्ति गाय भैंस चराने नहीं जा रहा है. संध्या होने से पहले हर कोई घर वापस लौट जा रहा हैं. घर से दूर या गन्ने के खेत में कोई घास काटने नहीं जा रहा है. ऐसे ही मनोज बैठा, मदन मांझी धर्मेंद्र महतो, अजय प्रसाद, नंदकिशोर महतो, पुनवासी माझी, मनोज महतो अंगद महतो इत्यादि लोगों ने बताया कि गांव से दक्षिण दिशा में एक छोटा बाघ चहल कदमी करते हुए आए दिन नजर आ रहा है. गांव से सटे पूरब हनुमान मंदिर के पास गन्ने के खेत में भालू और सुअरों ने महीनों से डेरा डाल रखे हैं. इसकी सूचना कई बार वन कर्मियों को दी गई, लेकिन वह इस बात को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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