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टॉर्च की रोशनी में माइनर ओटी में इलाज

इस दौरान गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल के व्यवस्था की कथनी और करनी उजागर हुई.

बेतिया . तस्वीर रविवार के सुबह लगभग 7:45 बजे की हैं. जब घायलवस्था में एक 4 वर्षीय बच्चा अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचता हैं. उस समय स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा उसे माइनर ओटी में ले जाकर टांका लगाना होता हैं. इस दौरान गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल के व्यवस्था की कथनी और करनी उजागर हुई. जहां पर पर्याप्त रोशनी के अभाव में मोबाइल के लाइट में उस मासूम बच्चे को टांका लगाया गया. जीएमसीएच के कैजुअल्टी वार्ड में गंभीर रूप से जख्मी हालत में पहुंचे नितिन दूबे (04) को मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में टांका लगाना पड़ा. पर्याप्त रोशनी नहीं होने के चलते मौके पर तैनात चिकित्सक व कर्मियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. इस दौरान कैजुअल्टी वार्ड के बाहर मौजूद लोगों ने अस्पताल की व्यवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कैजुअल्टी वार्ड में भी ओटी लाइट रहनी चाहिए. जिससे टांका लगाने, घाव की ड्रेसिंग करने में सहुलियत हो. स्वास्थ्यकर्मियों के मुताबिक बच्चें के कान के पिछले हिस्से में गहरा जख्म था. खून भी काफी बह रहा था. इसलिए बारीक रूप से देख कर टांका लगाना जरूरी था. इसलिए मोबाइल की रोशनी का सहारा लेकर करीब एक घंटे तक यह प्रक्रिया चली. बता दें कि गोपालपुर के झखड़ा वार्ड नंबर तीन निवासी अरुण दूबे का पुत्र नितिन वास बेसिन के पास कुर्सी लगाकर नल खोलने के क्रम में कुर्सी सहित बेसिन पर गिर गया. बेसिन टूट गया, जिससे नितिन के सिर में बायें कान के पीछे गहरा जख्म हो गया. उसका कान कटकर लटक गया था. परिजन उसे लेकर जीएमसीएच पहुंचे तो मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में टांका लगाना पड़ा.

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