Bhagalpur News : हर साल बाढ़ में अपना सबकुछ गंवा देनेवाले नाथनगर प्रखंड के अजमेरीपुर बैरिया गांव के लोग ही फिर से खुद को पटरी पर लाने के लिए लड़ाई नहीं लड़ते हैं, उनके बच्चे भी दो अक्षर पढ़ लेने के लिए संघर्ष करते हैं. छह गांवों के बच्चे जिस अजमेरीपुर बैरिया उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पढ़ते हैं, वहां आधे बच्चों को ही बैठने की सुविधा मिलती है. बाकी बच्चों को शिवालय, मंदिर के मंडप, प्रयोगशाला और स्मार्ट क्लास में किसी तरह जगह मिल पाती है. स्कूल में उपस्थिति तो अपेक्षाकृत काफी होती है, पर जगह का अभाव देख काफी संख्या में बच्चे घर से निकलते ही नहीं हैं. शिक्षकों का अभाव अलग समस्या है. छठी से आठवीं कक्षा में विषयवार शिक्षक की बात करें, तो सिर्फ अंग्रेजी के लिए एक शिक्षिका सोमी साक्षी हैं. नौवीं से 12वीं में अंग्रेजी व हिंदी के शिक्षक नहीं हैं.
ये है क्लासरूम की समस्या
भागलपुर के अजमेरीपुर बैरिया उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के एक ही परिसर में पहली से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है. मध्य विद्यालय के पास पांच कमरे हैं. प्रत्येक कमरे की क्षमता 50 बच्चों की है और इसमें 742 विद्यार्थी नामांकित हैं. 11 शिक्षक हैं. नौवीं और 10वीं में चार कमरे और 409 विद्यार्थी हैं. 11वीं और 12वीं में 100 विद्यार्थी और चार कमरे हैं. उच्च विद्यालय की प्रयोगशाला व पुस्तकालय और विद्यालय के गेट के बाहर बने सार्वजनिक शिवालय में छठी, सातवीं व आठवीं कक्षा के बच्चों को बैठाया जाता है. क्लासरूम की कमी की वजह से काफी संख्या में बच्चों को जमीन पर बैठाया जाता है.
स्कूल में ही है समाधान, पर शिक्षा विभाग करता नहीं
विद्यालय परिसर में उत्तरी किनारे के बीच में प्लस टू की बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा है. इसे छह महीने पहले ही पूरा कर विद्यालय प्रशासन को सौंप देना था, लेकिन शिक्षा विभाग की एजेंसी आज भी बिल्डिंग को अधूरा छोड़े हुए है. अगर यह बिल्डिंग बन कर तैयार हो जाती है, तो प्लस टू के विद्यार्थी इसमें शिफ्ट कर जायेंगे और इससे खाली हो जानेवाले कमरों में शिवालय, लैब व पुस्तकालय के बच्चों को शिफ्ट कर दिया जायेगा. लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी को बच्चों की समस्या से कोई मतलब नहीं दिख रहा है. स्कूल द्वारा इस बात से कई बार बैठकों व प्रशिक्षण के दौरान विभाग को अवगत कराया जा चुका है.
शिवजी पर अक्षत नहीं, अक्षरों से अभिषेक
अजमेरीपुर बैरिया में संयोग है कि विद्यालय परिसर के गेट के ठीक सामने शिवालय है. शिवालय परिसर में मंदिर के ठीक सामने एक मंडप बना है, जिसके किनारे में शिव-पार्वती की प्रतिमा है. अगर ये दोनों नहीं होते, तो क्लासरूम के अतिरिक्त बच्चों को पढ़ने के लिए जगह नहीं मिल पाती. क्लास के समय यहां माहौल देख ऐसा लगता है कि बच्चे यहां शिवजी को अक्षरों से अभिषेक कर रहे हों. इन बच्चों की क्लासरूम की मन्नत कब पूरी कर दे शिक्षा विभाग यह ग्रामीणों को भी इंतजार है.
16 मई से 11वीं की कक्षा का संचालन असंभव : प्रधानाध्यापक
विद्यालय के प्रधानाध्यापक मनोज कुमार मंडल ने बताया कि इस स्कूल में दिलदारपुर, मोहनपुर, रसीदपुर, अजमेरीपुर, श्रीरामपुर व लालूचक आदि गांवों के विद्यार्थी पढ़ते हैं. क्लासरूम की कमी है, फिर भी हर साल 100 से 150 विद्यार्थी बढ़ जाते हैं. उन्हें स्कूल से लौटा तो नहीं सकते हैं. बचे हुए बच्चों को मंदिर में बैठाने की मजबूरी है. प्लस टू बिल्डिंग बन जाये, तो थोड़ी राहत हो. अब शिक्षा विभाग कह रहा है कि 16 मई से 11वीं कक्षा का संचालन शुरू करें, जो वर्तमान स्थिति को देख असंभव लग रहा है.