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141 साल बाद बाबा बूढ़ानाथ मंदिर का 50 लाख से होगा जीर्णोद्धार

141 साल बाद बाबा बूढ़ानाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य शुरू हो गया. इसे लेकर मंदिर के महंत शिवनारायण गिरि के नेतृत्व में शहर के गणमान्य, समाजसेवी, चिकित्सक व अन्य श्रद्धालुओं का सहयोग लिया जा रहा है. श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बूढ़ानाथ मंदिर के मूल स्वरूप समेत भवनों के जीर्णोद्धार की तैयारी शुरू हो गयी.लगाया गया शिलापट्ट, आज से मार्बल लगाने का होगा काम

-त्रेता युग में भगवान श्रीराम के कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ ने की थी स्थापना

– वर्ष 1883 में सकरपुरा स्टेट के राजा ने कराया था मंदिर का विस्तार व भवन निर्माण

प्रभात खास

दीपक राव, भागलपुर

141 साल बाद बाबा बूढ़ानाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य शुरू हो गया. इसे लेकर मंदिर के महंत शिवनारायण गिरि के नेतृत्व में शहर के गणमान्य, समाजसेवी, चिकित्सक व अन्य श्रद्धालुओं का सहयोग लिया जा रहा है. श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बूढ़ानाथ मंदिर के मूल स्वरूप समेत भवनों के जीर्णोद्धार की तैयारी शुरू हो गयी.

लगाया गया शिलापट्ट, आज से मार्बल लगाने का होगा काम

बूढ़ानाथ मंदिर के प्रबंधक बाल्मिकी सिंह ने बताया कि वार्ड 21 व 18 की सीमा पर स्थित बाल वृद्धेश्वर नाथ की स्थापना भगवान श्रीराम के कुलगुरु वशिष्ठ मुनि ने त्रेता युग में की थी. मंदिर का महात्म श्रद्धालुओं के बीच दूर-दूर तक फैली है. जीर्णोद्धार को लेकर हाल ही में शिलापट्ट लगा दिया गया है. पुरानी दीवारों को दुरुस्त करके मार्बल लगाने का काम शुक्रवार या शनिवार को शुरू हो जायेगा. पूरे मंदिर के जीर्णोद्धार में लगभग 50 लाख से अधिक खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है. मंदिर के मुख्य द्वार वाले भवन व अलग-अलग कमरों का भी जीर्णोद्धार किया जायेगा.

चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष के साथ गणमान्यों ने किया संकल्प पूजन

इससे पहले मंदिर के वरिष्ठ श्रद्धालु सह चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष श्रवण बाजोरिया, चिकित्सक डॉ अजय भारती समेत स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ जीर्णोद्धार को लेकर ठोस निर्णय लिया गया. इससे पहले सभी ने चेंबर अध्यक्ष के साथ संकल्प पूजन किया. उन्हाेंने बताया कि पूरे मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य से पहले मां दुर्गा मंदिर के जीर्णोद्धार में विशेष प्रयास किया गया. इसमें समाज का भी सहयोग मिला.

कोर्ट से रिहा होने पर सकरपुरा स्टेट के राजा ने कराया था मंदिर व भवन निर्माण

मंदिर के महंत शिवनारायण गिरि ने बताया कि सकरपुरा स्टेट के राजा को ब्रिटिश शासक ने फांसी की सजा सुनायी थी. कोर्ट जाने के क्रम में उन्होंने बाबा की पूजा-अर्चना की और रिहाई होने पर मंदिर का विस्तार कराना कबूल किया. बाबा ने उनकी सुन ली और वे रिहा हो गये. इसके बाद यहां आकर भव्य मंदिर का निर्माण कराया, जो अब तक उसी स्वरूप में है. इस मंदिर का निर्माण 1883 में कराया गया था.

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गंगा में बह कर आयीं थीं माता की प्रतिमा, महंत को स्थापित करने का आया था स्वप्न

प्रबंधक बाल्मिकी सिंह ने बताया कि 200 वर्ष पहले बूढ़ानाथ मंदिर में तत्कालीन महंत बलवानंद ने मां चंडी की प्रतिमा को स्थापित की थी. जो गंगा नदी में आयी थीं. तत्कालीन महंत को स्वप्न आया था कि मैं गंगा तट पर हूं. मुझे लाकर स्थापित करो. वहां जाने पर मां की प्रतिमा को सही में पाया. इसके बाद मां की प्रतिमा को बूढ़ानाथ मंदिर में स्थापित कर दी गयी. हरेक वर्ष नवरात्र शुरू होने के बाद अखंड ज्योति जलायी जाती है, जो दस दिनों तक लगातार जलती है. इस दौरान पूजा के लिए केवल महंत, व्रती व पुजारी ही जाते हैं.

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