Agriculture News: भागलपुर में बादल की लुकाछिपी से किसान परेशान हैं. प्री-मानसून में बारिश नहीं होने से किसान धान का बिचड़ा नहीं लगा पा रहे हैं. हालत यह है कि जिले में एक फीसदी बिचड़ा भी किसान नहीं लगा पाये हैं. जिला कृषि पदाधिकारी अनिल यादव कहते हैं कि मानसून आने में देरी हो रही है. फिर भी किसान लगातार बिचड़ा लगाने की कोशिश कर रहे हैं. जिन क्षेत्रों में पंपिंग सेट से सिंचाई की सुविधा है, वहां करीब 45 हेक्टेयर भूमि में बिचड़ा का काम हुआ है. ऐसे जिला में 5200 हेक्टेयर में बिचड़ा लगेगा. जाहिर है अभी तक एक फीसदी भी बिचड़ा नहीं लग पाया है. अनिल यादव ने बताया कि सामान्य बारिश होती तो पांच जुलाई तक बिचड़ा का काम पूरा हो जाता, लेकिन मानसून के आगमन में देरी से 15 जुलाई तक बिचड़ा का काम पूरा होने की उम्मीद है.
बिचड़ा बचाने के लिए किसानों की जद्दोजहद
शाहकुंड के प्रगतिशील किसान शिरोमणि ने बताया कि शाहकुंड प्रखंड में गिनती के किसान बिचड़ा लगाने में सफल हुए हैं. जो बिचड़ा लगाये हैं, वो भी अपने बिचड़ा को बचाने में अक्षम साबित हो रहे हैं. बिचड़ा पीला पड़ गया है. उसे बचाने के लिए किसानों को जद्दोजहद करना पड़ रहा है. बार-बार सिंचाई देना संभव नहीं है. जगदीशपुर के प्रगतिशील किसान राजशेखर ने बताया कि जगदीशपुर में एक बीघा में भी बिचड़ा नहीं बुआई हो पायी है. किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं. बिना पानी के बिचड़ा लगाना भी संभव नहीं है.
कब लगा सकते हैं हाइब्रिड धान
पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक सुजीत कुमार पाल ने बताया कि धान की हाइब्रिड किस्मों के लिए धान की नर्सरी मई के दूसरे सप्ताह से पूरे जून तक लगायी जा सकती है. वहीं मध्यम अवधि की हाइब्रिड किस्मों के लिए नर्सरी मई के दूसरे सप्ताह में लगानी चाहिए. इसके अलावा धान की बासमती व कतरनी किस्मों के लिए नर्सरी जून के पहले सप्ताह में लगायी जाती है.
नौ प्रखंडों में बड़े पैमाने पर होती है धान की खेती
जिले के नौ प्रखंड जगदीशपुर, शाहकुंड, सन्हौला, सुलतानगंज, पीरपैंती, नाथनगर, सबौर, गोराडीह व पीरपैंती धान उत्पादक क्षेत्र हैं.
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