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भागलपुर-मिर्जाचौकी NH-80 सड़क मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपए डकार चुकी, 101 करोड़ के बदले 484 करोड़ हो रहा खर्च

भागलपुर-मिर्जाचौकी NH-80 सड़क मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपए डकार चुकी है. इस सड़क पर अब चार गुना से अधिक पैसा खर्च किया जा रहा. लेकिन तब भी काम सुस्त है.

लगभग आठ साल पहले सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, नयी दिल्ली ने जिस सड़क के पेवमेंट क्वालिटी कंक्रीट (पीक्यूसी) निर्माण पर 101 करोड़ खर्च करने से इनकार कर दिया था, वही सड़क वर्तमान में 484.88 करोड़ से अधिक की लागत से पीक्यूसी की बन रही है. जाहिर है परियोजना निर्धारण में सरकार से चूक हुई है. इतना ही तब सड़क का निर्माण हो जाता है तो पिछले आठ सालों से लोगों को आवागमन की बेहतर सुविधा मिल रही होती. यह भागलपुर से मिर्जाचौकी एनएच 80 की सड़क है.

जीरोमाइल-मिर्जाचौकी हाइवे का निर्माण किया जा रहा

साल 2016 में जीरोमाइल से रमजानीपुर (37 किमी) तक 101 करोड़ की राशि से पीक्यूसी सड़क बनाने का प्रपोजल मिनिस्ट्री को भेजा गया था. इस राशि में मसाढ़ू पुल सहित आठ-पुल-पुलिया को भी शामिल कर बनाने को तैयार था. वहीं, वर्तमान में रमजानीपुर से मिर्जाचौकी तक 24 किमी की दूरी को इस प्रोजेक्ट में शामिल कर जीरोमाइल-मिर्जाचौकी हाइवे का निर्माण किया जा रहा है.

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पीसीसी के बदले 48 करोड़ से बनी थी अलकतरा की सड़क, छह माह भी नहीं टिकी

पीसीसी के बदलने इस हाइवे का निर्माण अलकतरा से बनाने की मंजूरी दी थी. इस प्रोजेक्ट मसाढ़ू पुल का निर्माण भी शामिल कर दिया था. 48 करोड़ का प्रोजेक्ट था और करीब 36 करोड़ से सड़क का निर्माण कराया गया लेकिन, यह छह महीने भी नहीं टिकी. पटना की कार्य एजेंसी पलक इंटरप्राइजेज एक तरफ से सड़क बनाकर आगे बढ़ रहा था, तो पीछे यह टूटते जा रही थी. यही वह सड़क है, जिसका 2019 में निर्माण व मरम्मत कार्य साथ-साथ चलता रहा. सड़क बनाने और मेंटेनेंस में वह ऐसा उलझा कि पुल नहीं बन सका. वहीं, एनएच विभाग जमीन अधिग्रहण करके भी उन्हें नहीं दे सका था. इस वजह से पुल नहीं बना था.

पीसीसी नहीं बनाने के निर्णय के बाद 61 करोड़ पानी की तरह बहाया

पीसीसी नहीं बनाने का निर्णय के बाद इस सड़क को चलने लायक बनाए रखने के लिए एनएच विभाग ने पानी की तरह पैसा बहा दिया. करीब 61 करोड़ निर्माण व मरम्मत पर खर्च किया. बावजूद, इसके लोगों ने कभी यह नहीं कहा कि सड़क चलने लायक है. हाइवे रहते हुए भी एक-एक कदम पर लोगों को गड्ढों का सामना करना पड़ा.

जानें, पीसीसी का प्रपोजल ठुकराने के बाद कितनी राशि हुई थी खर्च

वर्ष-बजट-खर्च

  • 2015- 16- 5.65 करोड़ – 4.78 करोड़ रुपये
  • 2016-17 -9.34 करोड़- 8.65 करोड़ रुपये
  • 2017-18 -50.00 लाख- 50.00 लाख रुपये
  • 2018-19 -4.85 करोड़- 4.82 करोड़ रुपये
  • 2019-20 -4.30 करोड़- 3.51 करोड़ रुपये
  • 2019-20 -48 करोड़ -36 करोड़ रुपये
  • 2020-21 -3.80 करोड़ – 3.70 करोड़ रुपये

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