BRABU: भागलपुर में बिहार विश्वविद्यालय ने डिजिटजाइजेशन की ओर तेजी से कदम बढ़ाया है. अब विश्वविद्यालय के सभी विभागों और कॉलेजों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं का एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) में खाता खुलेगा. नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी नैड और डिजीलॉकर से भी यह लिंक्ड रहेगा.
यूनिक आइडी जारी होगी
12 डिजिट की यूनिक आइडी प्रत्येक स्टूडेंट के लिए जारी की जाएगी. इसमें सेमेस्टर पूरा होते ही एकेडमिक क्रेडिट जुड़ता जाएगा. साथ ही कोर्स के साथ ही अन्य कोई पाठ्यक्रम में इनरॉल्ड होते हैं या कोई एडऑन कोर्स में पढ़ाई करते हैं तो वहां भी यह आइडी दे सकते हैं. वहां से जो क्रेडिट मिलेगा. वह इस आइडी पर जुड़ जाएगा. परीक्षा फॉर्म में अब एबीसी आइडी का कॉलम जोड़ा जाएगा.
डिजीलॉकर प्रमाणपत्र डिजिटल फॉर्मेट में प्राप्त
इसमें आइडी देने के बाद छात्र-छात्राओं का क्रेडिट परिणाम जारी होते ही डैस बोर्ड पर प्रदर्शित होने लगेगा. साथ ही डिजीलॉकर और नैड से जुड़े होने के कारण सभी प्रमाणपत्र भी इसपर डिजिटल फॉर्मेट में प्राप्त हो जाएंगे. इसे इसी सत्र से प्रभावी कर दिया गया है. विश्वविद्यालय की ओर से सभी कॉलेजों को पत्र भेजकर छात्र-छात्राओं की एबीसी आइडी क्रिएट करने का निर्देश दिया गया है. इस सत्र में करीब दो लाख छात्रों की आइडी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
Also Read: पटना के बाढ़ में बड़ा हादसा, सेप्टिक टैंक में दम घुटने से 4 लोगों की मौत
संस्थान का करना होगा चयन, प्राप्त सभी क्रेडिट का रिकॉर्ड भी रहेगा
एबीसी एकाउंट क्रिएट करते समय छात्र-छात्राओं को संबंधित संस्थान और कोर्स का विवरण देना होगा. एक बार एबीसी आइडी बन जाने के बाद छात्र जहां भी नामांकन लेंगे. वह आइडी संबंधित कोर्स के साथ जोड़ देने पर वहां से मिलने वाली क्रेडिट भी डैसबोर्ड पर दिखेगी. मिलने वाली क्रेडिट का पूरा रिकाॅर्ड भी इसमें दिखेगा. कोर्स का नाम और क्रेडिट देने वाले संस्थान का विवरण होने पर क्रेडिट का पता लगाया जा सकेगा. एबीसी आइडी की उपयोगिता बताने को लेकर कॉलेजों में कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा. सभी कॉलेजों के एक-एक शिक्षक नोडल बनेंगे. उनके माध्यम से छात्रों को आइडी क्रिएट करने के लिए जागरूक किया जाएगा.
सत्यापन करना होगा आसान
एबीसी आइडी पर दिखने वाले क्रेडिट और इससे लिंक्ड प्रमाणपत्रों का सत्यापन करना आसान होगा. उच्च शिक्षा के लिए जाने या नौकरी के समय सत्यापन के लिए विश्वविद्यालय भेजा जाता है. यहां से आसानी से स्टूडेंट्स का सत्यापन हो जाएगा. साथ ही इसके डिजिटल प्रति का उपयोग छात्र-छात्राएं कहीं भी कर सकेंगे.