Eid-al-Fitr: ईद का चांद दिखने के साथ ही बाजारों में बुधवार की देर रात तक लोगों ने खरीदारी की. भागलपुर में मुख्य बाजार से लेकर ततारपुर बाजार तक गुलजार रहा. कपड़े, इत्र, टोपी, दुपट्टा, शृंगार व लच्छे की एक करोड़ से ज्यादा की बिक्री हुई. हर दुकान पर भीड़ लगी रही. शहर के मुख्य बाजार सुजागंज, वेराइटी चौक, शाह मार्केट, तातारपुर बाजार आदि पूरी तरह जगमगाने लगा. इत्र के दुकानदार महबूब आलम व दुकानदार रिजवान खान ने बताया कि ईद से जुड़े सामान की खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ देर रात तक जमी रही. एक करोड़ से ज्यादा की बिक्री हुई है.
लखनवी कुर्ता की खूब हुई बिक्री
लखनवी कुर्ता-पायजमा व पठान सेट की खूब बिक्री हुई. तातारपुर बाजार में अलग-अलग डिजाइन के पायजामा और कुर्ता बिक रहे थे. दुकानदारों ने बताया कि ईद के मौके पर कुर्ता-पायजामा की अच्छी बिक्री है. देर रात तक कुर्ता- पायजामा खरीदने के लिए लोग आते रहे.
मजहबी सीडी कैसेट की रही धूम
माहे-रमजान में मुस्लिम इलाकों में मजहबी सीडी कैसेट खूब बज रहे थे. जगह-जगह कुरान-ए-पाक की आयतें गूंजती रही. कव्वाली व नातिया कलाम के सीडी कैसेट की काफी मांग थी.
लजीज जायके की भी हुई खरीदारी
मुस्लिम बाहुल्य इलाके तातारपुर, चंपानगर आदि में होटलों में कबाब, बिरयानी, मुर्ग-मुसल्लम से लेकर पराठा, शाही टुकड़ा आदि की खूब बिक्री हुई.
इस्लामिक किताबें भी खूब बिकी
इबादत का मौका आते ही बाजारों में इस्लामिक किताबों की बिक्री भी खूब हो रही थी. दुकानदारों ने बताया कि कुरान-ए-पाक, सच्ची नमाज, पंच सूरह आदि किताबों की बिक्री अच्छी खासी रही.
तस्वीह की हुई बिक्री
सिर ढकने के लिए टोपी और पढ़ने के लिए तस्वीह भी जरूरी है. कलमा व दरूद पढ़ने के लिए तस्वीह की जरूरत पड़ती है. बाजार में 100 दानों से लेकर 1000 दानों तक की तस्वीह मिल रही थी. 10 से लेकर 200 रुपये तक तस्वीह की कीमत थी.
बकरखानी भी खूब बिके
मैदा, दूध, खोये, घी, रिफाइंड, चीनी नारियल का बुरादा से तैयार की गयी रोटी. जिसे शीरमाल भी कहा जाता है. बाजारों में शीरमाल व बकरखानी 50 से लेकर 200 रुपये तक के बिक रहे थे.
मटन की खूब हुई बिक्री
माहे-रमजान का एक माह मुकम्मल हो गया. अब लोग जायका बदलने के लिए मटन का खूब खरीदारी कर रहे हैं. देर रात तक मटन के दुकानों पर लोगों की भीड़ लगी रही.
ईद लोकप्रिय इस्लामिक त्योहार है, दुनिया भर में मनाया जाता
खानकाह-ए-पीर दमड़िया के सज्जादानशीन सैयद शाह फखरे आलम हसन ने कहा कि ईद-उल-फितर एक लोकप्रिय इस्लामिक त्योहार है , जो दुनिया भर में मनाया जाता है. इस्लाम में उपवास के पवित्र महीने रमजान के समापन का प्रतीक है. रमज़ान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है. जिसका विशेष महत्व है.
उन्होंने बताया कि इस महीने के दौरान मुसलमान पूर्ण उपवास रखते हैं, क्योंकि उपवास इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है. उपवास अवधि आत्म-संयम, करुणा व सामूहिक पूजा को बढ़ावा देती है. मुसलमान दिन के उजाले के दौरान भोजन, पेय आदि से परहेज करते हैं,जो न केवल शारीरिक संयम को बढ़ावा देते हैं. बल्कि जीवन के एक सचेत व सदाचारी तरीके को भी बढ़ावा देता हैं.
सैयद हसन ने बताया कि जैसे ही यह माह समाप्त होता है. ईद-उल-फितर मस्जिदों में आयोजित एक विशेष नमाज अदा की जाती है. उत्सव तीन दिनों तक चलता है. ईद के दिन बेहतर व नया पोशाक पहनते है. ईद एक खुशी भरा त्योहार है. ईद की नमाज के बाद, मुसलमान एक-दूसरे को गर्मजोशी से गले लगाते हैं और ईद मुबारक कहकर शुभकामना व्यक्त करते हैं.
ईद का त्योहार आपसी प्रेम, सौहाद्र व एकता को बढ़ावा देता
टीएमबीयू के कुलपति प्रो जवाहर लाल ने ईद के मौके पर बधाई व शुभकामना दी है. ईद का त्योहार आपसी प्रेम, सौहाद्र, एकता व सहिष्णुता को बढ़ावा देता है. एकता व सहिष्णुता को बढ़ावा देता है. कुलपति ने कहा की ईद भाईचारे व सामाजिक समरसता का त्योहार है. साथ ही खुशियों को आपस में बांटने का भी यह त्योहार है. उन्होंने ईद के पावन अवसर पर सबों को बधाई दी है. उन्होंने कहा की ईद के त्योहार को सभी आपस में मिलकर मनाते हैं और खुदा से सुख-शांति और बरकत के लिए दुआएं मांगते हैं.
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