श्री गोशाला के पश्चिम में अवस्थित गोशाला नंदीश्वर महादेव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन घृताधिवास, पुष्पाधिवास व गंधाधिवास का अनुष्ठान हुआ. फिर धूपधिवास, वस्त्रधिवास, फलाधिवास मिष्ठानाधिवास, ओषधिवास का अनुष्ठान हुआ. प्रात: नौ बजे वेदी पूजन हुआ. रथयात्रा संध्या चार बजे निकली. इसमें भगवान श्री कृष्ण, हनुमान जी, गणेश, नंदी जी की प्रतिष्ठित होने वाली प्रतिमाओं के साथ शोभायात्रा निकाली गयी. रथ यात्रा गोशाला से निकल कर कोतवाली चौक स्थित कुपेश्वरनाथ महादेव मंदिर पहुंची. मंदिर की परिक्रमा कर वापस गोशाला पहुंची. संध्याधिवास संध्या साढ़े छह बजे हुआ. महामंत्री गिरधारी केजरीवाल ने कहा कि सुबह से श्रद्धालु यहां पहुंचकर पहले गायों को हरा चारा खिलाकर फिर प्रतिष्ठा महोत्सव आयोजन के पंडाल में पहुंच रहे थे. मंत्री रोहित बाजोरिया, सुनील जैन, सत्य नारायण पोद्दार ने बताया कि वृंदावन से पधारे पंडित अंजनी शर्मा, पंडित आशीष जी एवं बनारस से पधारे पंडित प्रमोद पांडे गुरुधाम से पधारे पंडित राम जी आदि पंडितों की देखरेख में पूजन कार्य हुआ. मंत्री सुनील जैन ने बताया कि तीन फरवरी को प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव का समापन हो जायेगा. संध्या 5:30 बजे सुंदरकांड पाठ होगा. प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन होगा.
इस मौके पर लक्ष्मी नारायण डोकनिया, राम गोपाल पोद्दार, घनश्याम कोटरीवाल, नारायण खेतान, ईश्वर झुनझुनवाला, मंटू सिंघानिया, दीपक रुंगटा, राजेश बंका, सुनील बुधिया, नरेश गोयनका, आशीष सर्राफ, शिवकुमार चौधरी, पीतांबर भिवानीवाला आदि उपस्थित थे.
माघी नवरात्र में होती है मां अंगधात्री की पूजा
बूढ़ानाथ मंदिर परिसर में अंगधात्री नवरात्र के चौथे दिन रविवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. देवी चर्चा में अंगधात्री शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर पंडित अशोक ठाकुर ने कहा कि एक समय दुर्गम नामक महादैत्य ने धरती पर त्राहि-त्राहि मचा दिया. संपूर्ण धरती को वृक्षविहीन कर दिया. इस कारण वर्षों तक बारिश नहीं हुई. मानव के साथ सभी जीव-जंतु त्राहिमाम कर उठे. तब सभी देवताओं ने मिलकर भगवान शिव एवं विष्णु से प्रार्थना की. उन्होंने बताया कि माघ नवरात्र में माता अंगधात्री की आराधना करो, सभी समस्याओं का समाधान हो जायेगा.बताया कि सभी देवताओं ने मिलकर माता अंगधात्री की आराधना की, तब माता प्रकट हुई. इसके शरीर पर हजारों आंख लगी थी. उन सभी आंखों से आंसू की धार बहने लगी. इसी आंसू के बहने से पूरी धरती जलमय हो गयी. उनके हाथों में साग सब्जी भरे हुए थे. माता ने महादैत्य दुर्गम का वध किया. तभी से भगवती का एक नाम दुर्गा एवं शाकंभरी पड़ा. युवाचार्य गोपाल भारती, अजय सिंह, अमित सिंह, आरती देवी, मनोज सिंह, श्याम सुंदर खेतान, राजेन्द्र वर्मा, रतन वर्मा, दिनेश शाह, आशीष अग्रवाल, राजेश ओझा, संध्या देवी आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है