फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 10 फरवरी से सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम की शुरुआत होगी. अभियान को सफल बनाने के लिए सदर अस्पताल के सभागार में प्रशिक्षण सत्र शुक्रवार को भी जारी रहा. प्रखंडों के बीसीएम व डाटा ऑपरेटरों को सुकृत्य एप व आइएचआइपी पोर्टल पर रिपोर्टिंग की जानकारी दी गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल पदाधिकारी डॉ दीनानाथ ने बताया कि फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति को दिव्यांग बना देती है. फाइलेरिया संक्रमण से लोगों में हाथी पांव विकसित होने में पांच से 15 वर्ष लग जाता है. फाइलेरिया बीमारी के कारण हाथ, पैर, पुरुषों में हाइड्रोसील व महिलाओं में स्तन का आकार विकृत हो जाता है. इन सब से बचने का उपाय मात्र एमडीए राउंड में डीइसी एवं एलबेंडाजोल दवा का सेवन है. यह दवाई आशा घर-घर जाकर खिलायेगी. मौके पर वीडीसीओ रविकांत व आरती कुमारी, पिरामल के राकेश कुमार व विजय कुमार समेत अन्य कर्मी थे.
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