– राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर समीक्षा भवन में हुआ कार्यक्रम, मीडियाकर्मियों के साथ प्रशासनिक पदाधिकारियों ने किया संवाद
सरकार जन कल्याण के लिए अनेक योजनाएं चलाती हैं. इनमें हजारों कर्मी लगे हैं, चाहे बाढ़ हो, सुखाड़ हो या कोई भी आपदा की स्थिति. इसमें प्रेस से जुड़े चाहे इलेक्ट्रॉनिक हो या प्रिंट मीडिया वहां पहुंचकर वास्तविक चीजों से अवगत कराते हैं. मीडियाकर्मी अपनी जान की भी परवाह नहीं करते. कई बार प्रशासन से पहले मीडिया घटनास्थल पर पहुंचती है. हम सभी एक यूनिट के रूप में काम कर रहे हैं. प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को आज भी ज्यादा विश्वसनीय माना जाता है. कोई खबर चलती है, तो लोग मानते हैं कि यह सही है इससे हमारी जवाबदेही बढ़ जाती है. उक्त बातें डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने शनिवार को राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कही. समीक्षा भवन में डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय प्रेस दिवस कार्यक्रम का आयोजन हुआ. संयुक्त निदेशक जनसंपर्क एवं प्रेस प्रतिनिधियों ने इसमें सहयोग किया.
वरीय पत्रकार नये साथियों के लिए करें प्रशिक्षण की व्यवस्था
डीएम ने कहा कि मीडिया में एक-एक लाइन का महत्व होता है कि हम क्या लिख रहे हैं. कोई फैक्ट्री लगता है तो समीक्षा होती है कि पर्यावरण पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने वरीय पत्रकारों से आग्रह किया कि नये पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण चलाएं और क्या नहीं करना है और क्या करना चाहिए. डीडीसी प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है जो हमें फीडबैक देती रहती है.प्रेस परिषद में सांसद व सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज भी होते हैं शामिल
कार्यक्रम का संचालन करते हुए संयुक्त निदेशक जनसंपर्क नागेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि चार जुलाई 1966 को भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना की गयी, जो 16 नवंबर से प्रभावकारी ढंग से कार्य करना प्रारंभ किया. इसके अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश होते हैं और इसके साथ 28 सदस्यों की कमेटी में राज्यसभा के दो, लोकसभा के तीन सदस्य शामिल होते हैं. साहित्य अकादमी, यूजीसी एवं बार काउंसिल ऑफ इंडिया के एक-एक सदस्य इसमें नामित किये जाते हैं. 20 सदस्य मीडिया से होते हैं. जिनमें 06 संपादक, 07 कार्यकारी वरिष्ठ संवाददाता और 06 सदस्य समाचार प्रबंधन एवं एक-एक सदस्य न्यूज़ पेपर व न्यूज़ एजेंसी के प्रबंधन से होते हैं.मीडियाकर्मियों को मिले छत व सुविधाएं
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े पत्रकार राजकुमार ने डीएम के समक्ष स्वतंत्र मीडियाकर्मियों के लिए उपयुक्त स्थान की मांग की. कहा कि पत्रकारों को खाली समय बिताने के लिए सड़क किनारे बैठना पड़ता है. यहां न बैठने की व्यवस्था होती है और न ही अन्य सुविधाएं. इस पर डीएम ने कहा कि एक माह में यह व्यवस्था कर दी जायेगी, जहां जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध होगी. इस दौरान वरीय पत्रकार राजीव सिद्धार्थ, अनुज शिवलोचन, प्रवीण कुमार मिश्रा, अरविंद कुमार ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है