चक्रवाती तूफान डाना के कारण जिले में हो रही बारिश धान की फसल के साथ ही आगामी रबी फसल के लिए लाभकारी रहेगी. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो धान की पिछैती खेती के कारण ऐसा संभव हो पाया. मालूम हो कि जिले में धान के कुल रकबा में 95 फीसदी खेती पिछैती है. इस सीजन में पचास हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में धान की खेती हुई है. नहीं तो धान की फसल को क्षति हो सकती थी. हालांकि, किसानों को अब भी तेज बारिश व आंधी की आशंका से फसल की बर्बादी की चिंता सता रही है.
पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक सुजीत कुमार पाल ने बताया कि जिले के नौ प्रखंड धान उत्पादक क्षेत्र हैं. इसमें जगदीशपुर, शाहकुंड, गोराडीह, नाथनगर, सबौर, कहलगांव, सन्हौला, सुल्तानगंज व पीरपैंती आते हैं. यहां देर से हुई बारिश के कारण पिछैती धान की खेती हुई. ऐसे में यहां नुकसान कम और फायदा अधिक हुआ है. यह बारिश आगामी रबी फसल के लिए भी मिट्टी में नमी बनाये रखेगा और बेहतर रबी फसल के लिए फायदेमंद साबित होगा. सिंचाई की कम से कम आवश्यकता पड़ेगी.
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