= सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश कर रहा साहेबगंज मोहल्ले के हिंदू-मुस्लिम धर्मावलंबी= वार्ड 10 के साहेबगंज महादलित टोला में 70 साल पहले डॉ कलीम के पूर्वज ने दान की थी तीन कट्ठा जमीन, वर्तमान के एक करोड़ से अधिक है कीमतफोटो नंबर : सिटी
प्रभात विशेष
दीपक राव, भागलपुर
समाज की मजबूत बुनियाद को हिलाने की सोच रखनेवाले ओछी मानसिकता के लोगों को हमारे पुरखों से सीखने की जरूरत है, जो यह कहते हैं कि हर किसी के उत्साह को बढ़ाने में मदद करना और सभी के उत्सव में खुद भी भागीदार बनना ही इंसानियत है. इसी सोच के साथ 70 साल पहले वार्ड 10 अंतर्गत साहेबगंज के डॉ कलीम के पूर्वज ने कब्रगाह के समीप तीन कट्ठा जमीन काली मंदिर की स्थापना के लिए नि:स्वार्थ भाव दान में दी थी. वर्तमान में उक्त जमीन की कीमत एक करोड़ से अधिक है. इतना ही नहीं अब भी मुस्लिम धर्मावलंबी सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश कर रहे हैं और तन, मन और धन से सहभागी बन रहे हैं.मो इफ्तिखार हुसैन, मो इंतेसार, बहाव खान बढ़-चढ़कर लेते हैं हिस्सा
पूर्व पार्षद मो इफ्तिखार हुसैन उर्फ पोपल ने बताया कि यहां सद्भाव की लंबी परंपरा है. डॉ कलीम के पूर्वजों ने महादलित टोला में बेशकीमती जमीन दान दी थी. मां की प्रतिमा स्थापना से लेकर विसर्जन शोभायात्रा तक कोई अंतर नहीं दिखता कि काली पूजन में किस मजहब के लोग अधिक हैं. भेदभावरहित पूजा होती है. मुस्लिम महिलाएं खुद लोकगीत से लेकर मां की विदाई तक शामिल होती हैं. विदा की बेला में उनकी आंखों में आंसू इस बात का प्रमाण है कि इंसानियत व सामाजिक कार्यों में कोई भेदभाव नहीं है. सामाजिक कार्यकर्ता शशिभूषण भारती ने बताया कि यहां मो इफ्तिखार हुसैन के साथ मो इंतेसार, बहाव खान समेत सैकड़ों मुस्लिम लोग शामिल होते हैं. पूजन में मुस्लिम समुदाय के लोग आर्थिक सहयोग भी करते हैं.
सभी बिरादरी की है भागीदारी
पारो पंडित 55 साल से प्रतिमा निर्माण कर रहे हैं. मेढ़पति सिकंदर दास, अध्यक्ष गोकुल दास, संयोजक शंकर पोद्दार, केंद्रीय काली पूजा महासमिति के पश्चिमी क्षेत्र शांति समिति के उपाध्यक्ष शशि भूषण भारती वर्तमान में भागीदारी निभा रहे हैं, तो दिवंगत दिलीप मिश्रा ने खुद अपने खर्च पर मंदिर का निर्माण कराया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है