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अवरोध के कारण खेतों में है जल जमाव, किसानों के पक्ष में तैयार की है रिपोर्ट, मुख्यालय से करायेंगे समाधान : चीफ इंजीनियर

जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर चारू चंद्र मिश्रा ने बुधवार को इंजीनियरों की टीम के साथ सबौर, कहलगांव, गोराडीह व सन्हौला प्रखंड के 20 पंचायतों व 1000 से अधिक हेक्टेयर भूमि से बाढ़ का पानी नहीं उतरने की समस्या का जायजा लिया.

प्रभात इंपैक्ट

जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर चारू चंद्र मिश्रा ने बुधवार को इंजीनियरों की टीम के साथ सबौर, कहलगांव, गोराडीह व सन्हौला प्रखंड के 20 पंचायतों व 1000 से अधिक हेक्टेयर भूमि से बाढ़ का पानी नहीं उतरने की समस्या का जायजा लिया. सुबह सात से दोपहर दो बजे तक लगातार टीम के साथ एक-एक पहलुओं को देखा और पीड़ित किसानों के हित में रिपोर्ट तैयार की. इस रिपोर्ट को मुख्यालय भेजने और समस्या समाधान कराने का आश्वासन दिया. सोमवार को प्रभात खबर की ओर से किसानों की समस्याओं की पड़ताल की गयी और मंगलवार के अंक में 2000 किसानों के खेतों से नहीं उतरा बाढ़ का पानी, खेती चौपट शीर्षक से समाचार प्रकाशित की गयी थी. इसके बाद संज्ञान लेते हुए चीफ इंजीनियर समेत इंजीनियरों की टीम बुधवार को किसानों के बीच पहुंची.

ईंट भट्टा संचालकों ने रोका है पानी का मार्ग और तबाह हैं हजारों किसान

चीफ इंजीनियर ने बताया कि ईंट भट्टा संचालकों ने बाढ़ के पानी का मार्ग रोक दिया. घोघा नदी पर बांध बना दिया गया है. इससे पानी का बहाव रुक गया है. इसी कारण हजारों किसान पीड़ित हैं. चीफ इंजीनियर चारू चंद्र मिश्रा से प्रशस्तडीह पंचायत के मुखिया अतुल पांडेय, उप मुखिया राकेश सिंह, प्रगतिशील किसान कृष्णानंद सिंह, अभय पांडेय, शशि भूषण राय, मंटू यादव, श्याम यादव, तरुण पांडेय, प्रणव पांडेय, विजय राय, ललन पांडेय, अनिल राय आदि ने माछीपुर, सीमरो, शंकरपुर पुल, सबौर के कुरपट, गोराडीह के सालपुर, घीया, अगरपुर आदि में किसानों के खेतों में पानी भरे होने की समस्याओं को दिखाया.

केवल घोघा में दर्जनों जगह पर पाया गया पानी का अवरोध

टीम ने शंकरपुर पुल, प्रशस्तडीह लहोरी पुल व कई ईंट भट्ठों पर जाकर जांच पड़ताल की. अकेले घोघा में दर्जनों जगह पर पानी का अवरोध पाया. टीम को समस्या से अवगत कराने में किसान श्रीकृष्ण पांडे, रणधीर सिंह, मौला सिंह, रामजी राय ने सहयोग किया और कहा कि पानी निकासी नहीं होने के कारण हजारों एकड़ में अभी भी बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है. हमलोग खेती किसानी नहीं कर पा रहे हैं. दहलन, तिलहन फसल बुआई का समय बीतता जा रहा है, हमलोग परेशान हैं. इसका जल्द से जल्द निदान होना चाहिए. किसानों की शिकायत के आधार पर स्थल सर्वेक्षण किया गया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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