जीव तब तक अनाथ रहता है जब तक उसे ब्रह्म का सानिध्य प्राप्त नहीं होता. इसी संत हृदय को राष्ट्र कल्याण की चिन्ता होती है. जैसे विश्वामित्र को हुई थी और उन्होंने आकर राजा दशरथ से उनके दो पुत्रों राम और लक्ष्मण को शिक्षा के बहाने जन कल्याणार्थ के लिए मांगा था. उक्त बातें पंडित रघुनंदन ठाकुर ने गुरुवार को बूढ़ानाथ मंदिर परिसर में चल रहे नौ दिवसीय मानस सद्भावना सम्मेलन के चौथे दिन प्रवचन करते हुए कही.
फिर रघुनंदन ठाकुर ने कहा कि हमारे स्वार्थ से किया गया कर्म दूसरे का यदि अहित करता है तो वह कर्म अपवित्र हो जाता है.
मानस कोकिला कृष्णा मिश्रा ने कहा कि मिथिला में रोज इसी बात की चर्चा होती है कि जो दोनों राजकुमार आये हैं. सुंदर हैं ही पर जब से आए हैं मिथिला और सुंदर हो गया है. मानस कोकिला की उपाधि उन्हें प्रसिद्ध कवयित्रीमहादेवी वर्मा ने दी थी. मिथिला का गीत सुनाते हुए उन्होंने कहा सिया की महिमा रघुनाथ जी ही जानते हैं और समझते हैं. अतिथियों का स्वागत अध्यक्ष मृत्युंजय प्रसाद सिंह ने किया, तो संचालन प्रमोद मिश्रा ने किया. इस मौके पर कोषाध्यक्ष अमरेंद्र कुमार सिन्हा, महामंत्री श्वेता सिंह, सचिव प्रमोद मिश्रा, सुनील चटर्जी, संयोजक हरि किशोर सिंह कर्ण, रत्नाकर झा, प्रणब दास, महेश राय, सुष्मिता दुबे, सौरभ मिश्रा, महारुद्र मिश्रा, बालमुकुंद, घनश्याम प्रसाद आदि उपस्थित थे.
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