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दबाव में या फेयर चुनाव नहीं कराने पर दे दूंगा का इस्तीफा

मुस्लिम एजुकेशन कमेटी (एमईसी) में चल रहे विवाद के बीच चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. चुनाव के लिए आठ व 15 दिसंबर की संभावित तिथि घोषित की गयी है.

दबाव में या फेयर चुनाव नहीं कराने पर दे दूंगा का इस्तीफा मुस्लिम एजुकेशन कमेटी (एमईसी) में चल रहे विवाद के बीच चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. चुनाव के लिए आठ व 15 दिसंबर की संभावित तिथि घोषित की गयी है. एमईसी चुनाव प्रक्रिया के लिए गठित आयोग के मुख्य चुनाव पर्यवेक्षक डॉ रफीकुल हसन ने कहा कि फेयर चुनाव करायी जायेगी. इसके लिए पहले लीगल एडवाइस लेंगे. इसके बाद भी चुनाव कराया जायेगा. लेकिन किसी दबाव में या गलत तरीके से चुनाव नहीं करायेंगे. मुझे ऐसा लगेगा कि हम चुनाव फेयर नहीं करा पा रहे हैं. चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव पर्यवेक्षक पद से इस्तीफा दे दूंगा. उन्होंने कहा कि फरवरी 2024 में चुनाव होना था. लेकिन चुनाव को लेकर कुछ लोग कोर्ट के शरण में चले गये थे. कोर्ट ने चुनाव संबंधित प्रक्रिया पर रोक लगा दिया था. इससे पहले आयोग ने चुनाव की घोषणा के बाद हाउस को भंग कर दिया था. साथ ही आचार संहिता लागू कर दिया था. कोर्ट में मामला जाने के बाद आचार संहिता रहते हुए आयोग चुनाव संबंधित प्रक्रिया रोक दिया था. डॉ हसन ने कहा कि चुनाव को लेकर फरवरी में जो लागे उम्मीदवारी के लिए पर्चा दाखिल किया है. उनके नजर में आज भी वही है. इस दस माह में कमेटी में किया हुआ, किया नहीं हुआ. इससे आयोग को कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा कि 13 नवंबर को कोर्ट ने चुनाव संबंधित प्रक्रिया पर से रोक हटा दिया है. कोर्ट से रोक हटाते ही फिर से आयोग सक्रिय हो गया है. इसके मद्देनजर गुरुवार को आयोग ने अपने कार्यालय में प्रेसवार्ता कर यह बताना जरूरी समझा कि चुनाव संबंधित प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. प्रेसवार्ता में सहायक पर्यवेक्षक डॉ एनएच नईम, इंजीनियर मो हुसैन आदि मौजूद थे. एमईसी में लिये गये सारे निर्णय नहीं होगा मान – मुख्य चुनाव पर्यवेक्षक डॉ हसन ने कहा कि आचार संहिता के बीच एमइसी द्वारा लिये गये सारे निर्णय मान नहीं होंगे. आचार संहिता लगने के बाद से फरवरी से लेकर अबतक एमईसी जो भी नीतिगत निर्णय लिया गया है. चाहे वित्त से जुड़े मामले, नियुक्ति संबंधित मामले, हाउस बुलाकर जो भी निर्णय हुआ है. ऐसे तमाम निर्णय को आयोग अपने स्तर से निरस्त मानता है. चुनाव जीत कर आने वाले नये सदस्य उन मामलों को हाउस में ले जाकर निर्णय लेंगे. आयोग केवल चुनाव करायेगा. कुछ लोगों ने नयी व पुरानी कमेटी को लेकर शिकायत किया है. आयोग मामले में लीगल एडवाइस भी लेगा. इसके बाद ही कोई निर्णय होगा.

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