पटना : विधानसभा चुनाव में इस बार अाधा दर्जन से अधिक नयी पार्टियां मैदान में होंगी. बिहार राजनीतिक दलों का पसंदीदा जगह रहा है. हर बार के चुनाव में सौ से अधिक दल अपने उम्मीदवार उतारते रहे हैं. 2015 के विधानसभा चुनाव में 157 दलों के करीब 3693 उम्मीदवार मैदान में अंतिम समय तक डटे रहे.
इस बार के चुनाव में दर्जन भर से अधिक नयी पार्टियां अपने उम्मीदवार उतारेंगी. इनमें आधा दर्जन दलों ने तो चुनाव मैदान में उतरने का एलान भी कर दिया है. नयी पार्टियों में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा की अगुआई में बनने वाला दल भी शामिल है. भाजपा से अलग हुए यशवंत सिन्हा के साथ जदयू और राजद से खफा चल रहे नेताओं की टोली है. इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव, नागमणि, पूर्व सांसद डॉ अरुण कुमार , पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह, रेणु कुशवाहा, लोजपा से अलग हुए डाॅ सत्यानंद शर्मा आदि नेता उनके साथ खड़े हैं. इन लोगों ने एक ग्रुप बना कर सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी की है.
नयी पार्टियों में मल्लाहों के वोट बैंक पर पर नजर रखने वाले मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी वीआइपी भी शामिल है. वीआइपी का गठन 2018 में हुआ है. 2015 के विधानसभा चुनाव में निषाद संघ बनाकर यह दल भाजपा के साथ खड़ी थी. इस बार नयी पार्टी बन गयी है. पिछले साल हुए विधानसभा उप चुनाव में वीआइपी विपक्षी दल राजद के साथ खड़ी थी. अब तक उसका झुकाव राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन की ओर है. असुद्दीन ओवैसी की एआइएमआइएम भी इस बार पिछली बार की तुलना में अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. विधानसभा उप चुनाव में उसका खाता खुल चुका है.
यूपी के चुनाव में दमखम से उतरने वाली भीम आर्मी के भी उम्मीदवार सभी सीटों पर उतारे जायेंगे. पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद रावण ने हाल के दिनों में इसकी घोषणा पटना में की है. राष्ट्रीय सेवा दल ने राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का एलान किया है. पूर्व विधायक प्रमोद कुमार जोशी ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह घोषणा की है. राष्ट्रवादी विकास पार्टी ने राज्य की सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने का एलान किया है. पार्टी के नये प्रदेश अध्यक्ष रवि अटल ने इसकी घोषणा की है. इनके अलावा अभी और भी कई नये दल चुनाव लड़ने को सामने आने वाले हैं. पिछले चुनाव में 1150 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी चुनाव मैदान में अपना किस्मत आजमाया था.
पिछले विधानसभा चुनाव में 158 पार्टियां चुनाव मैदान में थीं. इनमें छह राष्ट्रीय पार्टियां भाजपा,कांग्रेस,बसपा,भाकपा,माकपा और राकांपा के उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे. राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त दलों में जदयू,राजद, लोजपा और रालोसपा थीं. दूसरे राज्यों की रजिस्टर्ड नौ दलों ने भी बिहार के चुनावी मैदान में अपने प्रत्याशियों को उतारा था. इनमें झारखंड की झारखंड मुक्ति मोर्चा, यूपी की समाजवादी पार्टी, आंध्र प्रदेश की एआइएमआइएम प्रमुख थीं. इनके अतिरिक्त रजिस्टर्ड अनरिकाेग्नाइज्ड 138 दलों के भी उम्मीदवारों ने चुनावी पर्चे भरे और अंत तक चुनाव मैदान में जमे रहे.
2015 के विधानसभा चुनाव में नोटा प्रभाव में आ चुका था. चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि बड़ी संख्या उमें मतदाताओं ने इसका प्रयोग किया था. सभी विधानसभा क्षेत्रों में पड़े वोटों का 2.49 प्रतिशत वोट नोटा में डाले गये थे. कुल नौ लाख 47 हजार 279 वोट नोटा में आये.
posted by ashish jha