मुजफ्फरपुर: थर्ड डिग्री बाइट होने पर दिया जाने वाला एंटी रेबीज इम्यूनोग्लोबिन इंजेक्शन की कालाबाजारी मामले की रिपोर्ट पांच सदस्यीय जांच टीम ने सीएस डॉ उमेश चंद्र शर्मा को सोमवार को सौंप दी. 20 पन्ने की जांच रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे हुए हैं. जांच टीम ने रिपोर्ट में कहा है कि एंटी रेबीज इम्यूनोग्लोबिन इंजेक्शन की जो खेप अगस्त 2022 में भेजी गयी है, इसके लिए सदर अस्पताल के किसी भी डॉक्टर ने नहीं लिखा था. पहली खेप बीएमआइसीएल की ओर से सदर अस्पताल के सेंट्रल दवा भंडार में भेजी गयी थी. इसके बाद जनवरी 2023 में उपाधीक्षक के पासवर्ड आइडी से एंटी रेबीज इंजेक्शन इंडेंट किया गया. जनवरी में खेप आने के बाद तीसरी बार मार्च 2023 में फिर से उपाधीक्षक के ही पासवार्ड आइडी से इंडेंट किया गया.
जांच टीम ने रिपोर्ट में लिखा है कि तीनों खेप में कुल पांच हजार पांच सौ एंटी रेबीज इम्यूनोग्लोबिन इंजेक्शन मंगाया गया. इसमें से 1200 वायल अभी सेंट्रल दवा भंडार में मौजूद है. जो 5500 वायल एंटी रेबीज इम्यूनोग्लोबिन इंजेक्शन का मंगाया गया है, उसमें से 4300 वायल जिन मरीजों को दिया गया है, उनमें कुछ फोन नंबर व पते मिले हैं. उनसे बात की गयी है. इसकी जानकारी रिपोर्ट में दी गयी है. अधिकतर के नाम व पते की रजिस्टर नीलेश के आलमारी में बंद है, जिसे जांच टीम को उपलब्ध नहीं कराया गया है. इस कारण उन मरीजों से संपर्क नहीं किया जा सका है. जांच टीम की सौंपी रिपोर्ट को सिविल सर्जन ने मुख्यालय को भेज दी है.
Also Read: मुजफ्फरपुर: बिजली कटौती ने बढ़ाई परेशानी, दिन में गर्मी तो रात में बिजली सता रही
सदर अस्पताल से एंटी रेबीज इम्युनिटी इंजेक्शन कालाबाजारी का मामला 15 मई को सामने आया था. हरियाणा पुलिस ने सदर अस्पताल में छापेमारी कर कालाबाजारी करने वाले मुख्य सरगना नीलेश कुमार को गिरफ्तार कर ले गयी थी. इसके बाद सिविल सर्जन की ओर से दो दिन बाद 17 मई को इसकी जानकारी निदेशक प्रमुख को दी. मामला संज्ञान में आने के बाद नीलेश व उसके साथ अमन को निलंबित कर दिया गया.