पटना: बिहार में नीतीश कुमार (nitish kumar) के तेजस्वी यादव (tejashwi yadav) के साथ सरकार बनाए जाने के बाद एनडीए (NDA) के घर में सदस्यों की संख्या कम हो गई है. बिहार में फिलहाल बीजेपी के साथ केवल रामविलास पासवान (Ramvilas paswan) के भाई पशुपति पारस गुट की एलजेपी ही रह गई है. साल 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में लालू-नीतीश की जोड़ी को पटखनी देने के लिए बीजेपी ने बिहार के नए पार्टी प्रभारी विनोद तावड़े को बीजेपी का कुनबा दुरुस्त करने का जिम्मा सौंपा है.
सियासी उलटफेर होने के बाद नए चुनौतियों का सामना करने के लिए बीजेपी (bjp) को अब अपने पुराने सहयोगियों की याद सता रही है. कुल मिलाकर कहें तो बीजेपी चुनावी मैदान में उतरने से पहले सभी खामियों को दुरुस्त करना चाहती है. इसके लिए बीजेपी सबसे चिराग पासवान (chirag paswan) और मुकेश सहनी (mukesh sahni) की एनडीए में वापसी कराने की जुगत में जुटी हुई है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी एक ऐसा वोट बैंक तैयार करना चाह रही है जो जातीय आधार पर मजबूत हो और 2024-25 में महागठबंधन की राह में रोड़े जमा कर सके. इसके लिए बीजेपी के वरीय नेता चिराग पासवान से संपर्क करने की कोशिश में हैं. जबकि मुकेश सहनी का भी मन टटोल रहे हैं.
इधर, चिराग पासवान ने भी स्पष्ट कर दिया है कि जिस गठबंधन में उनके चाचा रहेंगे उसमें वह शामिल नहीं होंगे. इसके साथ कहा यह भी जा रहा है कि उन्होंने मंत्री पद की भी डिमांड की है. बता दें कि बिहार के नए राजनीतिक हालात में विनोद तावड़े जब प्रभारी बने हैं और उन्हें कुनबा मजबूत करने की पार्टी ने जिम्मेदारी दी हैं उस स्थिति में चिराग पासवान और मुकेश सहनी का महत्व बढ़ गया है.
जानकारी के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व ने बिहार में बीजेपी के कुनबे को बढ़ाने के लिए विनोद तावड़े को सियासी हालात को भंपकर पुराने सहयोगियों को फिर से बीजेपी से जोड़ने के लिए काम करने का निर्देश दिया है. मुकेश सहनी जिनकी पार्टी के तीन विधायकों को तोड़ कर बीजेपी ने अपने पाले में कर लिया था, उन्हें भी मनाने की कोशिश की जा रही है.
फिलहाल मुकेश सहनी अभी बिहार में अकेले सियासी पिच पर बैटिंग-बॉलिग कर रहे हैं. ऐसे में अपनी खेल को मजबूत करने के लिए उनको भी एक टीम की जरूरत है. बता दें कि बिहार में महागठबंधन की सरकार से भी अभी खास तव्वजो मिलता नहीं दिख रहा है. ऐसे में बीजेपी का कुनबा मुकेश के लिए फिर से मुफीद ठिकाना हो सकता है. हालांकि पिछले बार मुकेश बीजेपी की शर्तों पर एनडीए में शामिल हुई थी. लेकिन इस बार मुकेश अपनी शर्तों के मुताबिक एनडीए के घर में गृह प्रवेश करना चाह रहे हैं. वैसे भी बिहार की राजनीति में मुकेश के लिए कुछ खोने को बचा नहीं है.