बिहार के सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की 17 से 20 नवंबर तक की छुट्टी रहेगी. वे बच्चे मौज-मस्ती कर सकते हैं. लेकिन, शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की छुट्टी को रद्द कर दिया है. शिक्षा विभाग की ओर से इसको लेकर आज गुरुवार को आदेश जारी कर दिया गया है. छात्र नेता दिलीप कुमार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि कई नियुक्त शिक्षकों ने नौकरी मिलने के बाद छठ करने का निर्णय लिया था. लेकिन, सरकार के इस फैसला से वे छठ नहीं कर सकेंगे. शिक्षक बनने के बाद छठ महापर्व करने की मन्नत अधूरी रह जायेगी. ऐसे में पर्व के दौरान ट्रेनिंग बंद कर सरकार को छठ महापर्व की छुट्टी दे देनी चाहिए.
सूत्रों का कहना शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक के निर्देश पर यह फैसला लिया गया है. इस आदेश के बाद एक बार फिर से शिक्षा विभाग चर्चा में है.बताते चलें कि पहले शिक्षा विभाग की ओर से दीपावली और छठ पर्व को लेकर 13 से 21 नवंबर तक छुट्टी दी गई थी, लेकिन 8 नवंबर को एक फरमान जारी कर बताया गया था कि स्कूल के प्रधानाध्यापक और प्रभारी आएंगे. बीपीएससी द्वारा चयनित शिक्षक अपना योगदान दे रहे हैं. इसलिए प्रधानाध्यापक और प्रभारी स्कूल आएंगे. अब इसमें संशोधित करते हुए विभाग ने एक नया फरमान जारी कर दिया. नए आदेश के अनुसार सभी शिक्षक और कर्मी को स्कूल आएंगे.
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29 अगस्त को शिक्षा विभाग ने संशोधित छुट्टी की सूची जारी की थी, जिसके तहत सितंबर से दिसंबर तक पड़ने वाली 23 छुट्टियों के घटाकर 11 कर दिया गया था. इसके बाद इस कटौती का विरोध शुरू हो गया. सरकारी स्कूलों में छुट्टियों में कटौती के भारी विरोध के बाद सरकार ने कटौती के आदेश को वापस लेना पड़ा था. वहीं, इस विवाद पर शिक्षा विभाग का कहना था कि शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के तहत प्राथमिक विद्यालयों में अकादमिक वर्ष में कम-से-कम 200 दिन एवं मध्य विद्यालयों में कम-से-कम 220 दिन पढ़ाई का प्रावधान है, लेकिन घोषित एवं आकस्मिक अवकाशों के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा है.