कृष्ण कुमार, पटना
वाराणसी-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को बिहार के हिस्से में एलिवेटेड बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार ने केंद्र को भेजा है. इसमें राज्य सरकार का तर्क है कि इस सड़क के निर्माण में करीब 70 हजार पेड़ काटे जायेंगे. इसमें अधिकतर पेड़ करीब सौ साल तक पुराने हैं. इन सभी पेड़ों का पर्यावरणीय महत्व है. पूरा विश्व इन दिनों पर्यावरण को बेहतर करने के प्रयास में लगा हुआ है और इस दिशा में अलग-अलग काम किये जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में 70 हजार पेड़ काटने के लिए मंजूरी देने से पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने मना कर दिया है. साथ ही केंद्र सरकार सहित इस एक्सप्रेसवे से संबंधित अधिकारियों को एलिवेटेड सड़क बनाने का प्रस्ताव दिया है.
एलिवेटेड बन जाने से क्या होगा फायदा?
विभाग की मानें तो यह सड़क राज्य के हिस्से में एलिवेटेड बन जाने से 70 हजार की जगह केवल एक हजार पेड़ कटेंगे. ऐसे में बड़ी संख्या में पुराने पेड़ कटने से बच जायेंगे. साथ ही एक्सप्रेसवे बन जाने से राज्य का विकास भी बाधित नहीं होगा. दरअसल वाराणसी से कोलकाता के बीच बनने वाले एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई करीब 626 किमी होगी. यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड होकर पश्चिम बंगाल पहुंचेगी. यह बिहार में कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया जिला से होकर गुजरेगी. बिहार में यह करीब 159 किमी लंबाई में बनेगी.
वाराणसी से कोलकाता की यात्रा कम समय में होगी
बिहार के हिस्से में इसकी अनुमानित लागत करीब 19 हजार करोड़ रुपये है. इस सड़क का निर्माण शुरू हो चुका है. एक्सप्रेसवे का हिस्सा सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल में करीब लंबाई 242 किमी लंबाई में होगा. झारखंड में यह 203 किमी और उत्तर प्रदेश में केवल 22 किमी लंबाई में ही बनेगा. इसके बनने से वाराणसी से कोलकाता की यात्रा में करीब 50 फीसदी समय लगेगा. इसका निर्माण 2026 तक पूरा होने की संभावना है.
क्या कहते हैं मंत्री
इस संबंध में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने बताया कि वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए राज्य में करीब 70 हजार पेड़ काटने की मंजूरी मांगी जा रही थी. यह मंजूरी देने से उन्होंने मना कर दिया. उन्होंने कहा कि इस सड़क को एलिवेटेड बनाने का प्रस्ताव उन्होंने केंद्र सरकार को दिया है. इससे केवल एक हजार पेड़ काटने की ही जरूरत होगी. मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि पूरी दुनिया पर्यावरण को बचाने और बेहतर बनाने की मुहिम में जुटी है. ऐसे में हमें भी पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में काम करना होगा.