पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने रविवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कौंसिल की बैठक में सर्वसम्मति से मोबाइल पर कर की विसंगति दूर कर 12 से 18 प्रतिशत करने से उसकी कीमत में मामूली वृद्धि की संभावना है. दरअसल, मोबाइल पर जीएसटी की 12 और उसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्री पर 18 से 28 प्रतिशत टैक्स की दर होने से भारत में निर्मित मोबाइल सेट आयातित से महंगा पड़ रहा था.
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि भारत में प्रतिवर्ष 29 करोड़ मोबाइल सेट का निर्माण होता है और निर्माताओं का 5,500 करोड़ रुपये रिफंड का बकाया है, क्योंकि आउटपुट से इनपुट पर कर की दर ज्यादा थी. उन्होंने आगे कहा कि जीएसटी कौंसिल की बैठक में करदाताओं को राहत देते हुए किसी सीए से अपने खातों की ऑडिट कराने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है. पहले दो करोड़ से ज्यादा वार्षिक टर्नओवर वालों के लिए ऑडिट करना अनिवार्य था, जिससे उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ता था. अब वे आयकर या अन्य किसी कानून के तहत कराये गये ऑडिट रिपोर्ट को जीएसटी के अन्तर्गत दाखिल कर सकेंगे.
डिप्टी सीएम ने कहा कि इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए 5 करोड़ से कम टर्नओवर वालों को वार्षिक रिटर्न और रिकाॅन्सिलेशन विवरणी दाखिल करने से मुक्त करते हुए शेष के लिए इसकी समयावधि 31 मार्च से बढ़ा कर 30 जून, 2020 कर दिया गया है. सुशील मोदी ने कहा कि समय पर विवरणी दाखिल नहीं करने वालों को विलंब शुल्क के साथ 18 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज का भुगतान करने के मामले में एक महत्वपूर्ण लिया गया है, अब वे 01 जुलाई, 2017 के प्रभाव से ग्रोस पर नहीं नेट पर इसको जमा करेंगे.
सुशील मोदी ने कहा कि बड़े पैमाने पर करवंचना और निबंधन के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए 1 अप्रैल से जीएसटी के अंतर्गत नये निबंधन कराने वालों के लिए आधार संख्या देना अनिवार्य कर दिया गया है. वर्तमान करदाताओं के आधार संख्या को भी धीरे-धीरे जोड़ दिया जायेगा. फर्जीवाड़े को रोकने लिए ‘अपने सप्लायर को जानें’ के तहत कोई भी डीलर आपूर्तिकर्ता के इनकम टैक्स, पिछला 20 विवरणी दाखिल करने की स्थिति, ई-वे बिल, सकल बिक्री व कर भुगतान की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे.