Bihar Assembly Election 2020: इस बार के विधानसभा चुनाव में पिछले चुनाव के बड़े चेहरे नहीं दिख रहे हैं. लालू प्रसाद के जमाने से बिहार की राजनीति में छाये रहने वाले श्याम रजक इस बार चुनाव में किसी भी दल के उम्मीदवार नहीं हो पाये हैं.पिछली दफा 2015 में जीत के बाद भी उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया था. इस बार दल बदलने के बावजूद विधायक का टिकट नहीं मिल पाया.
इसी प्रकार भाजपा में संघ के बैकग्रांउड वाले नेता रामेश्वर चौरसिया के लिए भाजपा में जगह नहीं बन पायी. पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह इस बार सीन में कहीं नहीं दिख रहे. उनके दो पूर्व विधायक बेटों को भी बड़ा ठिकाना नहीं मिल पाया. एक बेटे ने रालोसपा का दामन पकड़ा है, तो दूसरे ने निर्दलीय उम्मीदवार बनने की ठानी है. कभी जदयू से सांसद और राज्य सरकार में मंत्री रहीं रेणु कुशवाहा के भी इस बार उम्मीदवार नहीं बनने की संभावना है.
भाजपा में कई ऐसे चेहरे हैं, जिनकी सीटें जदयू में चली गयी या पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया. ऐसे नेताओं में पार्टी प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल और संजय टाइगर के नाम हैं. दूसरी ओर, बिहार की राजनीति में मुखर रही आम आदमी पार्टी और यूपी की समाजवादी पार्टी ने इस बार चुनाव से अलग रहने की घोषणा की है.
1995 में पहली बार फुलवारीशरीफ विधानसभा सीट से चनाव जीत कर आने वाले बीच में एक बार के उपचुनाव को छोड़ लगातार अब तक विधायक होते रहे हैं. इस बार चुनाव घोषणा के एक माह पूर्व उन्होंने जदयू से राजद में जाने का फैसला लिया. उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि उन्हें इस बार भी उम्मीदवार बनाया जायेगा,
लेकिन उनकी पारंपरिक सीट फुलवारीशरीफ महागठबंधन में भाकपा -माले को दे दी गयी. दूसरी निकट की सीट मसौढ़ी से राजद की वर्तमान विधायक रेखा देवी को ही उम्मीदवार बनाया गया. 2015 तक राज्य सरकार में भारी भरकम विभाग के मंत्री रहे डाॅ भीम सिंह इस बार सीन में नहीं दिख रहे हैं. वो अपने को भाजपा का साधारण कार्यकर्ता बताते हैं.
भाजपा प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल की सीट सूर्यगढ़ा अब जदयू की झोली में है. भाजपा के उपाध्यक्ष राजीव रंजन 2010 में जदयू की टिकट पर इस्लामपुर की सीट से विधायक हुए. अब वे भाजपा में उपाध्यक्ष के पद पर हैं, लेकिन उनकी सीट जदयू के पास है. संजय टाइगर भाजपा के प्रवक्ता और विधायक रहे हैं. उनकी सीट संदेश अब जदयू की झोली में है. जेपी आंदोलन के दिनों से चर्चा में रहे नरेंद्र सिंह 2010 में बनी सरकार में मंत्री रहे.
उनके एक बेटे सुमित सिंह चकाई से जेएमएम की टिकट पर और दूसरे अजय प्रताप जमुई की सीट पर जदयू से विधायक रहे थे. पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि इस बार विधानसभा चुनाव के पहले पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के साथ बिहार दौरे पर थे. इस बार वे खुद उम्मीदवार नहीं है. उन्होंने महागठबंधन को समर्थन देने की घोषणा की है. फुलवरीशरीफ की सीट पर भाकपा- माले से लगातार उम्मीदवार रहे विद्यानंद विकल अब जदयू के साथ हैं.
Posted By: Utpal Kant