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बिहार विधानसभा चुनाव 2020: क्या लोजपा के टारगेट 2025 की लड़ाई लड़ रहे हैं चिराग? जानें अलग चुनाव लड़ने से किस दल को हो सकता है फायदा…

पटना: पिछले साल पांच नवंबर को लोजपा के स्थापना दिवस पर जब केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान पटना आये थे, तो उन्होंने कहा था कि पार्टी को 2025 को देखना चाहिए. उन्होंने युवाओं को फोकस करते हुए लोजपा को तैयारी करने को कहा था. करीब 11 महीने बाद चिराग पासवान ने पिता की इस बात पर अमल करते हुए जदयू नेतृत्व से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला ले बड़ा गेम खेला है. इस बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी की पूरी तैयारी नीतीश सरकार से अलग होकर खुद को राजनीतिक मैदान में स्थापित करने को लेकर है. असली लड़ाई 2025 के विधानसभा चुनाव की है. इसी एजेंडे को लेकर चिराग पासवान बीते कई महीनों से जमीन तैयार कर रहे हैं.

पटना: पिछले साल पांच नवंबर को लोजपा के स्थापना दिवस पर जब केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान पटना आये थे, तो उन्होंने कहा था कि पार्टी को 2025 को देखना चाहिए. उन्होंने युवाओं को फोकस करते हुए लोजपा को तैयारी करने को कहा था. करीब 11 महीने बाद चिराग पासवान ने पिता की इस बात पर अमल करते हुए जदयू नेतृत्व से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला ले बड़ा गेम खेला है. इस बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी की पूरी तैयारी नीतीश सरकार से अलग होकर खुद को राजनीतिक मैदान में स्थापित करने को लेकर है. असली लड़ाई 2025 के विधानसभा चुनाव की है. इसी एजेंडे को लेकर चिराग पासवान बीते कई महीनों से जमीन तैयार कर रहे हैं.

रामविलास पासवान ने कहा था- हम 2025 की तैयारी को लेकर चल रहे हैं.

यही कारण है कि चिराग बीते कई महीनों से सरकार व उनकी नीतियों पर हमलावर रहे. उन्होंने सात निश्चय को भी भ्रष्टाचार का अड्डा बताया था. चिराग बार-बार पत्र जारी कर सरकार की आलोचना करते रहे हैं. दरअसल, इस बात को रामविलास पासवान के बयान से जोड़ कर देखने से पार्टी का एजेंडा साफ हो जाता है. बीते वर्ष नवंबर में ज्ञान भवन में आयोजित लोजपा के स्थापना दिवस में रामविलास पासवान ने कहा था कि आने वाला समय युवाओं का है. हम 2025 की तैयारी को लेकर चल रहे हैं.

किसे मिलेगा फायदा

लोजपा के अलग चुनाव लड़ने से कारण भाजपा को परोक्ष रूप से फायदा मिल सकता है. जैसा कि पहले से चर्चा है कि जदयू 122 सीटों पर और भाजपा 121 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. भाजपा को अपनी तरफ से लोजपा को सीट देनी थी. अब अगर लोजपा एनडीए से अलग हो गयी, तो भाजपा की सीटें नहीं बंटेगी और अलग लड़ने के बाद लोजपा भाजपा को समर्थन करेगी. ऐसे में दोनों स्थिति में भाजपा को फायदा होगा. जबकि इसके उलट जदयू को अपने खाते से जीतन राम मांझी की हम पार्टी को टिकट देना होगा.

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आगे निकल चुके हैं तेजस्वी

दरअसल आने वाले समय में चिराग पासवान के लिए असल चुनौती राजद के तेजस्वी यादव होंगे. दोनों युवा हैं और दोनों का राजनीतिक कैरियर लंबा है. अब तेजस्वी यादव राजद के नेता होने के साथ कांग्रेस व वाम दलों के साथ वाले महागठबंधन के नेता भी बन चुके हैं. इस लिहाज से देखा जाये, तो राजनीतिक पारी में तेजस्वी यादव आगे निकलते दिख रहे हैं. ऐसे में चिराग पासवान को तेजस्वी के सामने खड़ा होने के लिए अपने एनडीए खास कर जदयू के नेतृत्व से बाहर निकलना होगा. तभी उनका दायरा बढ़ सकता है. यही कारण है कि 2025 की लड़ाई के लिए चिराग पासवान की ओर से राजनीतिक बिसात बिछायी जा रही है.

Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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