पटना : इस बार के विधानसभा चुनाव कोविड संकट के बीच होने जा रहे हैं. एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधे मुकाबले की बात कही जा रही है. हालांकि, अभी गठबंधन को लेकर स्थिति साफ नहीं हो सकी है. बड़ी बात यह है कि सभी पार्टियां चुनाव जीतने के दावे जरूर करती दिख रही हैं. अगर बिहार के 2015 विधानसभा चुनाव के परिणामों को देखें तो कई सीटें ऐसी है, जहां पर कांटे की टक्कर देखने को मिली थी. कुछ सीटों पर हार-जीत का फासला महज 850 वोटों का रहा था. जबकि, दो सीटों पर हार-जीत का अंतर 500 वोटों से भी कम था.
बिहार में हुए 2015 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो राज्य में सात ऐसी सीटें थी, जहां पर परिणाम काफी उतार-चढ़ाव वाला था. कुछ जीतने वाले हार गए और कोई हारते हुए भी जीत गया. इसमें सबसे पहला नंबर आता है चनपटिया विधानसभा सीट का. चनपटिया में हार-जीत का अंतर महज 464 वोट का था. इस सीट से बीजेपी के प्रकाश राय ने जेडीयू के एनएन शाही को हराया था. बीजेपी के प्रकाश राय को 61,304 और जदयू के एनएन शाही को 60,840 वोट मिले थे. इसी तरह शिवहर विधानसभा सीट से जदयू के सैफुद्दीन ने 461 मतों से जीत दर्ज की थी. चुनाव में जेडीयू के प्रत्याशी ने हम पार्टी की प्रत्याशी लवली आनंद को काफी कम अंतर से हराया था. मतगणना के आखिरी पलों तक दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर हुई थी.
अगर बरौली विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पर हार-जीत का अंतर महज 504 वोटों का था. यहां आरजेडी के मोहम्मद नेमतुल्लाह को 61,690 वोट मिले थे. जबकि, दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी के रामप्रवेश राय को 61,186 वोट ही हासिल हुए थे. दूसरी तरफ आरा सीट पर राजद के मोहम्मद नवाज आलम ने बीजेपी के अमरेंद्र प्रताप सिंह को 666 वोटों से शिकस्त दी थी. जबकि, चैनपुर विधानसभा सीट पर 671 वोटों से जीत-हार का फैसला हुआ था. चैनपुर से बीजेपी के ब्रजकिशोर बिंद ने बीएसपी के मोहम्मद जमा खान को अंतिम क्षमों में हराया था.