चेनारी : रोहतास जिले के चेनारी विधानसभा के वोटरों को वही साध सकेंगे, जिनके पास मुद्दे होंगे. जो मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे होंगे, उन्हें इसका लाभ मिल सकता है. क्योंकि चेनारी विधानसभा में हर किसी का अपना मुद्दा है. कहते हैं कि यहां मुद्दे तो तैर रहे हैं.
हालांकि, यहां कास्ट फैक्टर भी कम मायने नहीं रखता है. पार्टी व प्रत्याशी के कार्यकर्ता व उनके समर्थक तो हैं ही. निर्दलीय के भी अपने कार्यकर्ता व समर्थक हैं. चेनारी विधानसभा के नायकपुर गांव किसान बबलू सिंह यादव और संजीत कुमार कहते हैं कि सिंचाई का प्रबंध करने, समय पर खाद, बीज, पानी और कृषि यंत्र की मांग करते हैं, तो अपना बाजार का मुद्दा उठाते हैं.
साथ ही वह यह भी कहते हैं कि उपज की खरीद समय पर हो, ताकि वह अगली फसल लगा सकें. क्योंकि उनके पास अलग से पूंजी नहीं होती है. फसल काटते और बेचते हैं, तो उनके पास धन आता है. अक्सर विलंब से धान की खरीद शुरू होती है.
भुड़कुड़ा गांव के जगदीश सिंह बताते हैं कि उनका प्रखंड नक्सल प्रभावित है. इसका अधिकांश हिस्सा वन क्षेत्र में आता है. कई ऐसे गांव हैं, जहां जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है. पहाड़ी रास्ता और मोरम मिट्टी की सड़क से राह तय करनी पड़ती है.
बरसात में सड़क खराब हो जाती है. पेयजल की समस्या सबसे गंभीर है. गर्मी के दिनों में नदी का पानी नहीं मिल पाता है. चुआं का पानी रिसता है. चापाकल पानी नहीं उगल पाते हैं.
युवक धर्मेंद्र कुमार, विक्की गुप्ता व कन्हैया शर्मा ने बताया कि युवाओं के समक्ष बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है. नौकरी संविदा पर मिल रही है, जिसमें नियमित कर्मियों की तरह कई सुविधाएं नहीं मिलती हैं.
स्वरोजगार के लिए लोन का आवेदन देने पर समय से ऋण नहीं मिल पाता है. ऐसे में छोटी पूंजी से छोटा रोजगार कर लेते हैं. लेकिन, परिवार का खर्च अच्छे से चलाना मुश्किल हो जाता है. बच्चों को अच्छे स्कूल में दाखिला नहीं करा सकता.
यहां के छात्र रंजीत सिंह व रजनीश कुमार ने कहा कि चेनारी प्रखंड में एकमात्र कॉलेज हैं. ऐसे में शिक्षा पर खर्च बढ़ जाता है. इसकी संख्या बढ़ानी चाहिए. शिक्षक, लैब, कॉमन रूम, लाइब्रेरी की समस्याएं दूर होनी चाहिए. छात्राएं रागिनी कुमारी व कामना सिंह कहती हैं कि महिलाओं के लिए एक भी अंगीभूत कॉलेज नहीं है.
गांव से आकर शहर में पढ़ने वाली छात्रों के लिए बस सेवा शुरू नहीं की गयी है. गर्ल्स हॉस्टल भी नहीं है. समस्याएं दूर करने के लिए युवाओं को अपनी ताकत दिखानी होगी. अपनी पसंद के जनप्रतिनिधि चुनने के लिए उन्हें ज्यादा से ज्यादा वोट पोल करना होगा.
कोरोना काल में हुए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों से करीब दस-पंद्रह हजार प्रवासी श्रमिकों के चेनारी विधानसभा में आने की बात कही जा रही है. अपने भाषण के दौरान विपक्षी पार्टी के नेता इनकी परेशानियों व मुद्दों को उठा रहे हैं, जबकि शासक दल ने इन्हें कैसे मदद की है, पर चर्चा करते सुने जा रहे हैं.
खैर, विधानसभा के इन प्रवासी मजदूरों का मत जनप्रतिनिधि के चयन में अहम मदद कर सकता है. केंद्र सरकार द्वारा हाल में लाये गये कृषि बिल को लेकर पक्ष-विपक्ष में वाक्य युद्ध हो रहा है. विपक्षी पार्टियां इसे किसान विरोधी बता रही है, तो शासक दल के नेता इसे किसान हित में होने की बात कह रहे हैं. तर्क है कि वह देश की किसी मंडी में अपनी उपज बेच सकते हैं.
Posted by Ashish Jha